लुप्त होने की कगार पर भेड़पालकों का व्यवसाय, वूल फैडरेशन पर लगाया अनदेखी का आरोप

Edited By Simpy Khanna, Updated: 30 Sep, 2019 04:48 PM

business of sheep farmers on the verge of extinction

हिमाचल प्रदेश घुमंतू भेड़पालक महासभा कुल्लू इकाई ने उपायुक्त कुल्लू त्रचा वर्मा के माध्यम से मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर को अपनी समस्या को लेकर ज्ञापन भेजा। जिसमें भेड़पालकों की विभिन्न समस्या को लेकर मुख्यमंत्री से समाधान का आग्रह किया। महासभा के स्टेट...

कुल्लू (दिलीप) : घुमंतू भेड़पालक महासभा कुल्लू इकाई ने उपायुक्त कुल्लू त्रचा वर्मा के माध्यम से मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर को अपनी समस्या को लेकर ज्ञापन भेजा। जिसमें भेड़पालकों की विभिन्न समस्या को लेकर मुख्यमंत्री से समाधान का आग्रह किया। महासभा के स्टेट एडवाईजर अक्षय जसरोटियां ने बताया कि घुमंतू भेड़पालक बकरियां के व्यवसाय से ही अपनी रोजी रोटी कमा रहे हैं। हम सभी परिवारों का घुमंतू भेड़-बकरी पालन व्यवसाय सदियों पुराना पुश्तैनी व्यवसाय है। इस व्यवसाय से हमारी अपनी रोजी-रोटी के साथ अन्य कई लोगों का भी रोजगार मिलता है।

उन्होंने कहा कि हमारा व्यवसाय आज कई कठिनाइयों के कारण गंभीर खतरे से जूझ रहा है तथा विलुप्त होने की कगार पर है। हमें सरकार की तरफ से पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल रही है जिस कारण हमारा व्यवसाय दिन प्रतिदिन कम होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि भेड़ पालकों के आर्थिक उत्थान के लिए प्रदेश सरकार ने हिमाचल प्रदेश वूल फेडरेशन का गठन किया था जिसका मुख्य काम भेड़ पालकों की उन्र खरीद करके उन्हें उचित कीमत अदा करने के लिए काम करना। वह इसके साथ-साथ नस्ल सुधार तथा मशीनों द्वारा ऊन की कतराई का कार्य करने की सेवाएं प्रदान करना था परंतु मशीनों द्वारा भेड़ों की ऊन निकालने की सेवा का कार्य ही हम भेड़ पालकों को समय पर मिल पा रहा है।

उन्होंने कहा कि मशीनों द्वारा उन कतराई का कार्य करना बहुत ही निपुण्ता वाला कार्य है और अप्रशिक्षित मजदूर इस कार्य को बिल्कुल नहीं कर सकता। वूल फेडरेशन ने हमारे ही समुदाय के नौजवानों को प्रशिक्षित करके वूल फेडरेशन के साथ कार्य पर लगाया था। यही 10 से 15 शीप शेयर वर्षभर वूल फेडरेशन की माध्यम से चारागाहों एवं जंगलों के बीच शीप शेयरिंग की सुविधा देते आ रहे थे लेकिन नौजवानों को वूल फेडरेशन ने कमीशन के आधार पर रखा था तथा वायदा किया था कि हम धीरे-धीरे आपको वूल फेडरेशन का कर्मचारी घोषित करेंगे। परन्तू 10 से 15 वर्ष बीत जाने के बाद भी जब इनको वूल फेडरेशन में शामिल नहीं किया गया तो इन शीप शयरों ने वूल फेडरेशन को पिछले वर्ष ही साफ तौर पर अवगत करवा दिया था कि अब हम शोषणकारी मजदूरी पर वूल फेडरेशन के साथ कमीशन पर कार्य नहीं करेंगे। इसके लिए वूल फेडरेशन हम शिप शेयरों का हो अपना सरकारी कर्मचारी घोषित करें। वूल फेडरेशन की अनदेखी के कारण यह सभी प्रशिक्षित शीप शेयर पिछले 20 दिनों से हड़ताल पर हैं तथा वर्तमान में संयुक्त निदेशक पशुपालन विभाग कार्यालय पालमपुर के प्रांगण में बैठे हैं ।

उन्होंने कहा कि वूल फैडरेशन के चेयरमैन पर खर्चा करने के लिए 25 लाख रूपये तो लेकिन एक व्यक्ति को 10 से 15 हजार रूपये माह वेतन देने के लिए पैसे नहीं है जिस कारण भेड़पालकों को सुविधाए नहीं मिल रही है। उन्होंने कहाकि अगर सरकार बक्त रहते इस पर ध्यान नहीं देगी तो आगामी समय में भेड़पालकों का व्यवसाय चौपट होगा तब वूल फैडरेशन व सरकार भेड़ों की विदेशी नस्ल बढ़ाने के लिए क्या करेंगी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री खूद ग्रामीण क्षेत्रों के रहने बाले है ऐसे में भेड़ पालकों की समस्या को बेखूबी जानते है।उन्होंने कहा कि भेड़पालकों के व्यवसाय को बचाना है तो सरकार व वूल फैडरेशन को भेड़पालकों को सुविधा देनी होगी।

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