Edited By kirti, Updated: 08 Dec, 2019 12:08 PM
गलत ऋण व एन.पी.ए. पर रोक न लगाने के चलते कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक सीमित को वित्तीय वर्ष 2018-19 में 45 करोड़ का नुक्सान उठाना पड़ा है। ये खुलासा बैंक की वित्तीय वर्ष 2018-19 की बैंलेंस सीट जारी होने के बाद हुआ है। प्रबंधन यह हवाला दे रहा है कि...
धर्मशाला (जिनेश): गलत ऋण व एन.पी.ए. पर रोक न लगाने के चलते कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक सीमित को वित्तीय वर्ष 2018-19 में 45 करोड़ का नुक्सान उठाना पड़ा है। ये खुलासा बैंक की वित्तीय वर्ष 2018-19 की बैंलेंस सीट जारी होने के बाद हुआ है। प्रबंधन यह हवाला दे रहा है कि इस वर्ष करीब 55 करोड़ का लाभांश बैंक ने कमाया है, जिसे एन.पी.ए., ग्रैच्युटी व अन्य में समाहित करने के प्रावधान के चलते नुक्सान जाहिर हुआ है। प्रबंधन की मानें तो ग्रैच्युटी को 10 से 20 लाख तक कर दिया गया है और ये भी बड़ा कारण लाभांश को एन.पी.ए. समेत ग्रैच्युटी में समाहित करना बैंक प्रबंधन की मजबूरी बनी है। बैंलेंस सीट आने के बाद बैंक प्रबंधन ने बैंलेंस सीट को आर.सी.एस. शिमला में भी जमा करवा दिया गया है।
हालांकि एन.पी.ए. बढऩे की वजह करोड़ों रुपए के गलत ऋण आबंटन, अधिकार से ज्यादा ऋण वितरित किया जाना और समय पर एन.पी.ए. मामलों में रिकवरी न किया जाना है। वहीं बैंलेंस सीट में नुक्सान आने के बाद प्रबंधन ने कई सख्त कदम भी इस नुक्सान को कम करने के लिए उठाने शुरू कर दिए हैं। इसकी भरपाई के लिए प्रबंधन की मानें तो उपरोक्त प्रावधान किए जाने के बाद अब वन टाइम सैटलमैंट के तहत भी एन.पी.ए. को कम करने की दिशा में बैंक कार्य कर रहा है और शुरूआती तौर पर शाखाओं के माध्यम से डिफाल्टरों को जागरूक कर दिया गया है और अब उन्हें सैटलमैंट की ओर आकर्षित किया जा रहा है।
सैटलमैंट होने के बाद एन.पी.ए. खुद व खुद कम होगा। बैंक प्रबंधन के मुताबिक बैंक द्वारा ओ.टी.एस. का विकल्प देने के बाद करीब 100 करोड़ रुपए वापस आने की संभावना है। हालांकि इसके अलावा भी प्रबंधन अपने स्तर पर कई प्रयास कर रहा है। जिससे कि एन.पी.ए. को और ज्यादा कम किया जा सके। मार्च, 2019 में बैंक का एन.पी.ए. 24.48 फीसद था, जोकि सितंबर तक 23.07 फीसद पहुंच गया है और मार्च तक ये 20 फीसद से नीचे आ जाएगा।