स्वास्थ्य संस्थानों ने दर-दर भटकाई गर्भवती महिला

Edited By Kuldeep, Updated: 01 Jan, 2024 10:46 PM

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जिस गर्भवती महिला को हमीरपुर के बड़े सरकारी अस्पताल ने टांडा रैफर कर दिया, टांडा मैडीकल कालेज ने पी.जी.आई. चंडीगड़ रैफर किया, पी.जी.आई. चंडीगढ़ में 5 दिन के बाद महिला को वापस भेज दिया, उस महिला की नार्मल डिलीवरी ऊना के क्षेत्रीय अस्पताल के...

हमीरपुर से टांडा रैफर, टांडा में कहा गया या नवजात रहेगा या मां फिर पी.जी.आई. ने 5 दिन बाद वापस भेजा, अंतत: ऊना में हुई नार्मल डिलीवरी
ऊना (सुरेन्द्र): जिस गर्भवती महिला को हमीरपुर के बड़े सरकारी अस्पताल ने टांडा रैफर कर दिया, टांडा मैडीकल कालेज ने पी.जी.आई. चंडीगड़ रैफर किया, पी.जी.आई. चंडीगढ़ में 5 दिन के बाद महिला को वापस भेज दिया, उस महिला की नार्मल डिलीवरी ऊना के क्षेत्रीय अस्पताल के चिकित्सकों ने बिना किसी आनाकानी के कर दी। अब किस अस्पताल और किस चिकित्सक पर मरीज भरोसा करें? यह वाक्य हुआ है हमीरपुर जिला के बड़सर क्षेत्र के तहत गांव सकरोह की गर्भवती महिला दिव्य के साथ। दरअसल 25 दिसम्बर को स्वास्थ्य खराब होने पर गर्भवती महिला दिव्य को परिजन हमीरपुर के बड़े सरकारी अस्पताल लेकर गए। चिकित्सकों ने वहां जांच करने पर परिजनों को मामला बेहद पेचीदा बताया और उसे उसी समय टांडा रैफर कर दिया।

परिजनों को कहा गया कि उनके पास मैडीकल कालेज हमीरपुर में बच्चे को रखने की कोई सुविधा नहीं है। मामला बेहद पेचीदा है। ऐसे में वह इसका उपचार और प्रसव नहीं करवा सकते। भयभीत परिजन महिला को लेकर उसी रात्रि टांडा मैडीकल कालेज पहुंचे। यहां पर भर्ती होने के बाद जांच के बाद चिकित्सकों ने परिजनों से कहा कि उनके पास सुविधाएं नहीं हैं। मां और बच्चे में से किसी एक को बचाना मुश्किल है। ऐसे में वह अपने मरीज को लेकर पी.जी.आई. चले जाएं। मंगलवार 26 दिसम्बर को गर्भवती महिला को लेकर परेशान परिजन पी.जी.आई. चंडीगढ़ पहुंचे। काफी मुश्किलों के बाद वहां महिला को भर्ती किया गया। उनसे डिलीवरी के बाद नवजात को रखने के लिए एन.आई.सी.यू. यानी इंसैंटिव केयर यूनिट का प्रबंध करने के लिए कहा। इस महिला को 4 दिन से अधिक पी.जी.आई. रखने के बाद डाक्टरों ने उन्हें घर जाने की सलाह दे दी। न डिलीवरी करवाई और न ही उन्हें कोई आगामी सलाह दी।

परिजन महिला को लेकर वापस अपने गांव लौट आए। इसी दौरान 31 दिसम्बर को जब गर्भवती महिला की फिर से तबीयत खराब हुई तो परिजन उसे लेकर मैहरे के एक निजी अस्पताल पहुंचे। अस्पताल के चिकित्सकों ने रिपोर्टें देखने के बाद उपचार से हाथ खड़े कर लिए और महिला को तत्काल एम्बुलैंस में पी.जी.आई. ले जाने की सलाह दी। परिजन महिला को लेकर पी.जी.आई. के लिए रवाना हुए और जब रास्ते में ज्यादा दिक्कत आई तो वह क्षेत्रीय चिकित्सालय ऊना पहुंचे। यहां के आपातकाल कक्ष के चिकित्सकों ने तत्काल महिला को भर्ती किया। उसकी रिपोर्टों की जांच की। चिकित्सकों के साथ ही वहां तैनात स्वास्थ्य कर्मियों ने गंभीरता के साथ महिला के स्वास्थ्य की जांच करते हुए एम.बी.बी.एस. डा. विवेक व स्टाफ नर्स उर्गेन व सहायिका रजनी की देखरेख में गर्भवती महिला की नार्मल डिलीवरी करवा दी। इससे न केवल परिजनों ने राहत की सांस ली बल्कि हमीरपुर, टांडा और पी.जी.आई. के चक्कर काट रही गर्भवती महिला को भी राहत मिली। डा. संजीव वर्मा, सी.एम.ओ. का कहना है कि रविवार रात्रि करीब 9 बजे इस गर्भवती महिला को जांच के लिए लाया गया था। यहां महिला की नार्मल डिलीवरी हुई। जच्चा-बच्चा दोनो स्वस्थ हैं। नवजात का भार 2.370 ग्राम था। जांच के बाद सोमवार को उन्हें छुट्टी दे दी गई।

मामला सामान्य होने पर भी खाने पड़े धक्के
महिला के पति मंदीप कुमार तथा सास कमलेश कुमारी ने कहा कि उन्हें एक सप्ताह से दर-दर भटकना पड़ा। मैडीकल कालेज हमीरपुर से लेकर मैडीकल कालेज टांडा और फिर पी.जी.आई. में धक्के खाने पड़े। जब मामला सामान्य था तो आखिर उन्हें इस प्रकार से क्यों प्रताड़ना का सामना करना पड़ा। ऊना के क्षेत्रीय चिकित्सालय के चिकित्सकों व स्टाफ ने बिना किसी आनाकानी के चिकित्सीय मदद भी दी और नार्मल डिलीवरी भी करवाई।

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