Edited By Vijay, Updated: 05 Jun, 2022 06:35 PM
एक पेड़ 100 पुत्रों के समान होता है। पेड़ हमें जहरीली गैसों से बचाते हैं। हरे-भरे पड़े से भरे बगीचे को देखकर मन प्रफुल्लित हो जाता है। मेरा मकसद भारत और राज्य सरकार के पर्यावरण संरक्षण एवं पौधरोपण अभियान में योगदान देना है। यह कहना है हिमाचल प्रदेश...
बिलासपुर (ब्यूरो): एक पेड़ 100 पुत्रों के समान होता है। पेड़ हमें जहरीली गैसों से बचाते हैं। हरे-भरे पड़े से भरे बगीचे को देखकर मन प्रफुल्लित हो जाता है। मेरा मकसद भारत और राज्य सरकार के पर्यावरण संरक्षण एवं पौधरोपण अभियान में योगदान देना है। यह कहना है बिलासपुर जिले के बरठीं उपमंडल से महज 5 किलोमीटर दूर माता खबड़ी देवी मंदिर बल्हसीणा के महंत रूपेश्वर गिरि का। इनकी पहचान अब पेड़ वाले बाबा के रूप में होने लगी है। अब तक वह बिना किसी अनुदान या सरकारी मदद के 6000 से ज्यादा औषधीय और अन्य प्रजातियों के पौधे मंदिर परिसर में लगा चुके हैं। इन्होंने मंदिर की 15 बीघा भूमि में एक वाटिका तैयार की है, जिसमें सागवान, खैर, आम व अमरूद से लेकर कटहल सहित विभिन्न प्रजातियों के पौधे शामिल हैं। बता दें कि माता खबड़ी देवी मंदिर बल्हसीणा में हजारों लोगों की आस्था है। ये उनकी कुलदेवी का मंदिर है। महंत ने सरकार और प्रशासन से इस मंदिर में वाटिका को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की गुजारिश की है।
17 वर्षों में पर्यावरण संरक्षण के लिए खर्च कर चुके हैं लाखों रुपए
महंत रूपेश्वर गिरि ने बताया कि वह 17 वर्षों से पर्यावरण संरक्षण में लगे हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिए 10 लाख रुपए खर्च कर चुके हैं। पौधों की खरीद के साथ उनके रखरखाव और बाड़बंदी के लिए भी काम कर रहे हैं। मंदिर परिसर में लगभग 40 लाख रुपए से गुंबद के निर्माण के अलावा अन्य मंदिरों के विकास के लिए भी पैसा दे चुके हैं। महंत रूपेश्वर गिरि ने बताया कि कई बार बताने के बावजूद सरकार और वन विभाग के अधिकारी उनके बगीचे को देखने नहीं आए। वह वर्ष 2005 से लगातार पौधे रोपते आ रहे हैं। दियोटसिद्ध मंदिर की तरह इस स्थल को भी पर्यटकों के लिए विकसित किया जा सकता है।
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