Edited By Jyoti M, Updated: 28 Oct, 2025 03:14 PM

रासायनिक खाद और जहरीले कीटनाशकों के प्रयोग के बगैर भी खेतों से अच्छी पैदावार ली जा सकती है तथा एक ही खेत में, एक ही सीजन में, एक साथ कई फसलें भी उगाई जा सकती हैं। हमीरपुर की निकटवर्ती ग्राम पंचायत बफड़ीं के गांव हरनेड़ की 68 वर्षीय महिला किसान तीर्थू...
हमीरपुर। रासायनिक खाद और जहरीले कीटनाशकों के प्रयोग के बगैर भी खेतों से अच्छी पैदावार ली जा सकती है तथा एक ही खेत में, एक ही सीजन में, एक साथ कई फसलें भी उगाई जा सकती हैं। हमीरपुर की निकटवर्ती ग्राम पंचायत बफड़ीं के गांव हरनेड़ की 68 वर्षीय महिला किसान तीर्थू देवी ने यह कर दिखाया है।
कृषि विभाग की आतमा परियोजना के माध्यम से हिमाचल प्रदेश में बड़े पैमाने पर प्रोत्साहित की जा रही प्राकृतिक खेती की विधि को अपनाकर तीर्थू देवी अपने खेतों में एक साथ कई फसलें उगा रही हैं और इन फसलों के अच्छे दाम भी प्राप्त कर रही हैं। पिछले माह समाप्त हुए खरीफ सीजन के दौरान तीर्थू देवी ने अपने खेतों में देसी मक्की के साथ ही तिल, सोयाबीन और भिंडी भी लगाई थी। उन्होंने इन फसलों में रासायनिक खाद या कीटनाशकों का बिल्कुल भी प्रयोग नहीं किया। अत्यधिक बरसात के कारण तिल की फसल तो खराब हो गई, लेकिन मक्की, सोयाबीन और भिंडी की अच्छी पैदावार हुई।
तीर्थू देवी ने बताया कि उन्होंने मक्की की फसल तो सितंबर के पहले हफ्ते में ही निकाल ली थी और पिछले हफ्ते सोयाबीन भी तैयार हो गई। लेकिन, देसी भिंडी के पौधों में अभी भी रोजाना काफी भिंडी निकल रही है और बाजार में इसके काफी अच्छे दाम मिल रहे हैं। उन्होंने बताया कि एक साथ तीन-तीन फसलों से उन्हें काफी फायदा हुआ है। भारी बरसात के कारण तिल की फसल नहीं हो पाई।
तीर्थू देवी ने बताया कि आतमा परियोजना के अधिकारियों ने उनके गांव के किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए जागरुक किया था और किसानों को फसल विविधीकरण को अपनाने की सलाह दी थी। इसी से प्रेरित होकर उन्होंने भी प्राकृतिक खेती और फसल विविधीकरण को अपनाया। गांव के प्रगतिशील किसान ललित कालिया ने भी उनकी मदद की। तीर्थू देवी ने किसानों-बागवानों से प्राकृतिक खेती और फसल विविधीकरण को अपनाने की अपील करते हुए कहा कि इससे उनकी आय में अच्छी-खासी बढ़ोतरी हो सकती है।