Edited By prashant sharma, Updated: 11 Mar, 2021 04:58 PM
प्रदेश की डबल ईंजन की बीजेपी सरकार के खाते अब एक और बड़ी उपलब्धि दर्ज हुई है, जिसमें पहले से ही कर्ज के पहाड़ तले दबी प्रदेश सरकार के 12 निगम-बोर्ड अरबों के घाटे से जूझते हुए लाचार हुए हैं।
हमीरपुर : प्रदेश की डबल ईंजन की बीजेपी सरकार के खाते अब एक और बड़ी उपलब्धि दर्ज हुई है, जिसमें पहले से ही कर्ज के पहाड़ तले दबी प्रदेश सरकार के 12 निगम-बोर्ड अरबों के घाटे से जूझते हुए लाचार हुए हैं। यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष व सुजानपुर विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस ब्यान में कही है। उन्होंने कहा कि जयराम सरकार की लचर कार्यप्रणाली का नतीजा है कि पूर्व में फायदे में चल रहे निगमों को भी आज अरबों के घाटे से जूझना पड़ रहा है। इस दौरान पर्यटन विकास निगम, राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड, परिवहन निगम, राज्य वन निगम समेत घाटे में चल रहे तमाम निगमों की घाटे की धनराशि के आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो उसमें सरकार के कुप्रबंधन का कच्चा-चिट्ठा पूरी तरह से खुल जाएगा। उन्होंने कहा कि घाटे में चलने के बावजूद निगमों व बोर्डों के अध्यक्षों व उपाध्यक्षों की राजशाही में कोई कटौती नहीं की गई जोकि सरासर बताती है कि यह सरकार केवल अपने ऐशो-आराम के लिए कार्य करती है व ऐसे में प्रदेश को हो रहे घाटे, नुकसान व कर्ज को लेकर सरकार को जरा भर भी चिंता नहीं है। पिछले तीन सालों में सरकारी उपक्रमों के अध्यक्षों व उपाध्यक्षों के ऐशो-आराम के लिए करोड़ों रुपए कि राशि खर्च कर दी गई है जबकि ऐसे में सरकार को चाहिए था कि घाटे में चल रहे निगमों को उभारने के बारे में कोई प्लान बनाया जाता।
उन्होंने बताया कि ऐशो-आराम पर हुए खर्चे का आंकड़ा इतना है कि इसे बताते-बताते बेशर्म हुई बीजेपी सरकार खुद भी शर्मा जाएगी। विधानसभा सत्र में सरकार ने खुद माना है कि उनके शासन में वो निगम भी घाटे में आ गए हैं जोकि कभी फायदे में होते थे और जिनसे आर्थिक लाभ भी होता था। उन्होंने बताया कि जनता के पैसों को डकारने वाली सरकार के पास न तो कोई विजन है और न ही कोई प्लानिंग है, जिससे कि इन निगमों और बोर्डों को घाटे से उभार कर फायदे की राह पर लाया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार के पास हर चीज का बस एक ही ईलाज है और वो है कर्ज। राणा ने कहा कि कर्ज लेने में नंबर वन रही जयराम सरकार प्रदेश को डूबाने का काम कर रही है लेकिन सरकार यह जान ले कि ऐसा आलम अब अधिक दिनों तक नहीं चलने वाला है। उन्होंने कहा कि आने वाले चुनावों में सरकार के हरेक उस फैसले का हिसाब जनता करेगी, जिसने हिमाचल प्रदेश को कर्ज का राज्य बना कर रख दिया है।