सिरमौर में सभी कसमों से बढ़कर है ये कसम, एक बार खा ली तो समझो वोट पक्का

Edited By Vijay, Updated: 16 May, 2019 04:57 PM

this oath more than all the oaths in the sirmaur

लोटा लूण प्रथा जोकि जिला सिरमौर में सभी कसमों से बढ़कर मानी जाती है लेकिन अब इसका इस्तेमाल चुनाव में भी किया जा रहा है। कार्यकर्ता लोटा-लूण से वोट पक्का करने की जुगत में पड़ गए हैं। गिरिपार क्षेत्र के खासकर शिलाई में लोटा लूण से वोट पक्का करने की...

पांवटा साहिब (रोबिन): लोटा लूण प्रथा जोकि जिला सिरमौर में सभी कसमों से बढ़कर मानी जाती है लेकिन अब इसका इस्तेमाल चुनाव में भी किया जा रहा है। कार्यकर्ता लोटा-लूण से वोट पक्का करने की जुगत में पड़ गए हैं। गिरिपार क्षेत्र के खासकर शिलाई में लोटा लूण से वोट पक्का करने की जुगत पहली बार नहीं हो रही है बल्कि यह प्रथा पिछले काफी सालों से चली आ रही है। यही नहीं, कई बार प्रत्याशी भी अपने लिए समर्थन मांगने के लिए मतदाताओं से लोटे में नमक डालकर वोट पक्का करने की कसमें दिलाता है। यदि वोटर ने लोटे में पानी भरकर उसमें नमक डालकर कसम खा ली तो समझो वोट पक्का हो गया।

वोट कास्ट करने का आखिरी फैसला है यह कसम

लोटा लूूण कसम एक पानी के भरे लोटे (बर्तन) में नमक डलवा कर कसम खिलाई जाती है कि मैं आपकी पार्टी को वोट करूंगा। यदि नहीं करूंगा तो मैं इस नमक के तरह पानी में गलूंगा। माना जाता है कि क्षेत्र में इस कसम से बढ़कर और कोई भी कसम नहीं है। यह कसम एक तरह से वोटर का संबंधित दल को वोट कास्ट करने का आखिरी फैसला है और कार्यकर्ता के लिए भी यह किसी बड़े हथियार से कम नहीं है। कार्यकर्ता का भी यह आखिरी हथियार है। यह कसम गुपचुप की जाती है। इसकी जानकारी बस 2 लोगों के बीच में रहती है, एक लोटे में नमक डलवाने वाला और दूसरा लोटे में नमक डालने वाला। बुजुर्गों ने यह प्रथा आपस में मतभेद व जमीनी विवादों के लिए चलाई थी पर अब इसका इस्तेमाल चुनाव में भी किया जा रहा है।

क्या कहते हैं बुद्धिजीवी

क्षेत्र के बुद्धिजीवियों का मानना यह भी है कि गरीब परिवार को पैसे देकर व सरकारी नौकरी के कर्मचारी पर तबादला के दबाव बनाकर लोटा लूण करवाया जा रहा है। लोकसभा के चुनाव में अभी तक तो ऐसी कोई जानकारी सामने नहीं आई है।

दलबदल करने वाले वोटर्स को खिलाई जाती है कसम

नेता व कार्यकर्ता वोटर्स को बड़ी मुश्किल से इस कसम खिलाने के लिए तैयार करते हैं हालांकि यह कसम उन वोटर्स को खिलाई जाती है जिन पर कार्यकर्ताओं व नेताओं को दलबदल करने की आशंका रहती है लेकिन अब युवा पीढ़ी इस प्रथा पर ध्यान रखती है ताकि गांव में कार्यकर्ता या नेता वोटरों से ऐसे लोटा लूूण वाली कसम न खिलाई जाए। अब लोकसभा चुनाव नजदीक हैं तो ऐसे में इस प्रथा को गुपचुप करने के आशंका ज्यादा रह सकती है।

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