प्रशासन की ये लापरवाही कहीं पड़ न जाए भारी

Edited By prashant sharma, Updated: 10 Nov, 2020 05:44 PM

this negligence of administration should not get heavy

सोलन प्रशासन की कथित लापरवाही ने एक हजार छात्रों के स्वास्थ्य को खतरे में डाल दिया है। प्रशासन ने सरकार द्वारा शिक्षण संस्थानों के लिए बनाई गई एसओपी को ठेंगा दिखाकर आईटीआई सोलन में बीएलओ का तीन दिवसीय प्रशिक्षण शुरू किया है।

सोलन (नरेश पाल) : सोलन प्रशासन की कथित लापरवाही ने एक हजार छात्रों के स्वास्थ्य को खतरे में डाल दिया है। प्रशासन ने सरकार द्वारा शिक्षण संस्थानों के लिए बनाई गई एसओपी को ठेंगा दिखाकर आईटीआई सोलन में बीएलओ का तीन दिवसीय प्रशिक्षण शुरू किया है। मजेदार बात यह है कि प्रशासन ने कोरोना काल में इस ट्रैनिंग कार्यक्रम के लिए आईटीआई प्रशासन से अनुमति लेना भी जरूरी नहीं समझा है। यदि इस ट्रैनिंग की वजह से आईटीआई में एक भी छात्र या आईटीआई के टीचर या फिर स्टाफ का अन्य कर्मचारी कोरोना संक्रमित हो गया तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी ? यह यक्ष प्रश्न खड़ा हो गया है। प्रशासन से ऐसी लापरवाही की उम्मीद नहीं की जा सकती। 

आईटीआई के हॉल में ही यह ट्रैनिंग दी जा रही है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस हॉल के पास ही क्लास रूम में ही छात्र पढ़ाई कर रहे है। सोलन निर्वाचन क्षेत्र में करीब 128 बूथ है। एक बूथ पर एक बीएलओ और एक डीएलओ होता है। विधानसभा क्षेत्र के अलग पोलिंग बूथ के बीएलओ ट्रेनिंग के लिए सोलन आईटीआई में आ रहे। इससे कोरोना फैलने का खतरा भी बढ़ गया है। हैरानी की बात यह है कि प्रशासन कोरोना को हल्के से कैसे ले रहा है जबकि प्रदेश में कोरोना के सबसे ज्यादा मामले जिला सोलन में ही आए है। जिला सोलन में कोरोना संक्रमण के अभी तक 3847 मामले सामने आए है। पिछले कुछ समय में जिला सोलन में कोरोना के सबसे ज्यादा मामले सोलन शहर में ही सामने आ रहे है। 

इससे स्पष्ट है कि सोलन में कोरोना बड़े पैमाने पर फैला हुआ है। सोलन निर्वाचन क्षेत्र के अलग-अलग स्थानों से बीएलओ के आईटीआई में ही ट्रेनिंग करने से संक्रमण के फैलने का खतरा बढ़ सकता है। पहले ही अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल व आईटीआई में भेजने को तैयार नहीं है। ऐसे में प्रशासन शिक्षण संस्थानों में ही ट्रेनिंग कार्यक्रम आयोजित करने लगेगा तो विकट स्थिति भी हो सकती है। मजेदार बात यह है कि प्रशासन ने इस ट्रैनिंग के लिए आईटीआई प्रशासन से अनुमति लेना भी जरूरी नहीं समझा। प्रशासन ने आईटीआई प्रशासन को इस ट्रैनिंग से संबंधित एक पत्र जारी किया जिसमें 10 नवम्बर से 12 नवम्बर तक ट्रेनिंग की जानकारी दी गई है। ऐसा भी नहीं है कि इस ट्रैनिंग के लिए कोई एसओपी बनाई गई थी। 

हैरत की बात यह है कि कोरोना को देखते हुए प्रशासन इस ट्रेनिंग को उपायुक्त कार्यालय के सभागार या फिर नगर परिषद के हाल में ही आयोजित कर सकता था लेकिन आईटीआई में ही इसके आयोजन की क्या वजह रही होगी, यह समझ से परे है। सूत्रों की माने तो तीन दिन की इस ट्रैनिंग को देखते हुए आईटीआई प्रशासन के भी हाथ पांव फूल गए है। उन्हें छात्रों की सुरक्षा की चिंता सताने लगी है। पिछले करीब एक महीने से आईटीआई में कक्षाएं चली हुई है। अभी तक सब कुछ ठीकठाक रहा है। अब आईटीआई में परिक्षाएं शुरू होने वाली है। जिस हॉल में यह ट्रैनिंग दी जा रही है वहां पर भी आईटीआई की कक्षाएं लगेगी। जिन डैस्क पर आज बीएलओ बैठे हुए है, इस ट्रैनिंग के बाद छात्र बैठेंगे। इस टै्रनिंग में भाग ले रहा एक भी कर्मचारी कोरोना संक्रमित आ गया तो प्रशासन को जबाव देना मुश्किल होगा। इससे अभिभावक भी अपने बच्चों को आईटीआई में भेजने से डरेंगे। 

आईटीआई के प्रधानाचार्य चमन तनवर ने बताया कि मुझे तो आज ही पता चला कि आईटीआई सोलन में इस प्रकार की कोई ट्रैनिंग आज से शुरू हो रही है। प्रशासन ने इसके लिए आईटीआई से कोई अनुमति भी नहीं ली क्योंकि कोरोना के चलते आईआईटी में कक्षाएं लगाने के लिए एसओपी बनाई गई है। सोशल डिस्टेंसिंग के साथ ही आईटीआई में कक्षाएं लग रही है। इस प्रकार की ट्रैनिंग कार्यक्रम से चिंताएं जरूर बढ़ी है क्योंकि पिछले करीब एक महीने से आईटीआई सोलन में कक्षाएं लग रही है। अभी तक सब कुछ ठीक रहा है। 

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