इस सरकार के कार्यकाल में नहीं बन पाएगा इंडोर स्टेडियम!

Edited By Updated: 17 May, 2017 03:49 PM

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घुमारवीं नगर में खेलों से जुड़ी हुई सुविधाओं में जुड़ने जा रही एक बड़ी उपलब्धि इंडोर स्टेडियम का पहले से अधर में लटका पड़ा काम अब और ज्यादा लटक सकता है।

घुमारवीं: घुमारवीं नगर में खेलों से जुड़ी हुई सुविधाओं में जुड़ने जा रही एक बड़ी उपलब्धि इंडोर स्टेडियम का पहले से अधर में लटका पड़ा काम अब और ज्यादा लटक सकता है। कुल अनुमानित लागत में से 50 लाख रुपए लोक निर्माण विभाग को दिए जाने के बावजूद पिछले करीब 2 वर्षों से धरातल पर कायदे से शुरू नहीं हो पा रहा स्टेडियम का काम अब मौजूदा सरकार के कार्यकाल में मुश्किल ही हो पाएगा। कारण यह है कि राज्य सरकार के पास इस स्टेडियम के लिए अब बजट में पैसे का प्रावधान ही नहीं है। युवा सेवाएं एवं खेल विभाग के अधीन आने वाले इस स्टेडियम के लिए हिमाचल से पैसे की अगली किस्त का कोई प्रावधान न होने के बाद केंद्र को भेजा गया आग्रह भी कोई ठोस असर नहीं कर पाया है। केंद्र सरकार की ओर से भी आग्रह पर कोई गौर नहीं किया गया है। विभाग की संयुक्त निदेशक सुमन रावत ने यहां खुलासा करते हुए कहा कि अब कोशिश करेंगे कि पुराने आग्रह का स्मरण करवाते हुए केंद्र सरकार को फिर से बजट का प्रावधान करने के लिए लैटर लिखा जाए ताकि घुमारवीं के इस इंडोर स्टेडियम के लिए पैसे का इंतजाम हो सके।


इंडोर स्टेडियम की ड्राइंग आदि बनाने का मसला लटका 
घुमारवीं की सीर खड्ड पर मौजूदा विधायक राजेश धर्माणी के कार्यकाल में राज्य सरकार ने करीब 6 करोड़ रुपए की लागत से तैयार होने वाले इंडोर स्टेडियम के निर्माण के लिए आधारशिला रख दी थी। इसके बनने के बाद स्थानीय क्षेत्र के युवाओं के लिए खेलों की सुविधाएं विकसित होनी थीं। सूत्रों ने यहां बताया कि पहले दौर में राज्य सरकार ने इसके लिए कुल 50 लाख रुपए की राशि मंजूर करवाई थी लेकिन इस राशि को मंजूर करवाने के काफी समय तक स्टेडियम के निर्माण के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया लेकिन पिछले वर्ष विधायक राजेश धर्माणी ने इस मामले में साइट की सिलैक्शन करने के बाद मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की मौजूदगी में शिलान्यास करवा दिया था। 


अब सरकार के पास बजट में कोई प्रावधान नहीं
इसमें भी विभाग को कई महीने काम करते हुए हो गए हैं लेकिन कोई भी ठोस परिणाम सामने नहीं दिख रहा है। विभाग के एक्सियन ए.के. वर्मा ने तो कुछ समय पहले यहां तक कह दिया था कि जब कुल अनुमानित लागत का 30 से 40 प्रतिशत पैसा विभाग के पास नहीं पहुंच जाता तब तक इसके विधिवत टैंडर आदि भी नहीं करवाए जा सकते हैं। इस बारे में पंजाब केसरी ने विभाग की संयुक्त निदेशक सुमन रावत से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि 50 लाख रुपए तो स्वीकृत हैं। अभी तक कोई संभावनाएं भी ऐसी नहीं लग रही है। रावत ने बताया कि वह दोबारा केंद्रीय मंत्रालय से आग्रह करेंगी।

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