हिमाचल के इस जिला में आज भी मौजूद है यमलोक का द्वार

Edited By Punjab Kesari, Updated: 19 Feb, 2018 12:49 AM

this district of himachal is still present in yamalok s door

देवधरा में कई अद्भुत स्थान हैं जो हमेशा कौतूहल पैदा करते हैं। इन जगहों के संदर्भ में कई तरह की बातें होती हैं।

नग्गर: देवधरा में कई अद्भुत स्थान हैं जो हमेशा कौतूहल पैदा करते हैं। इन जगहों के संदर्भ में कई तरह की बातें होती हैं। देव समाज में भी इन जगहों को लेकर हमेशा चर्चा रहती है। देवी-देवता भी अपने गुरों के माध्यम से इन जगहों का जिक्र करते हुए कई बार लोगों को चेताते हैं। देवी-देवताओं से माफी मांगने के बाद ही देवी-देवताओं के आक्रोश को लोग शांत करते हैं। आप यह सुनकर हैरान होंगे कि कुल्लू में यमपुरी का द्वार भी विद्यमान है। यह बिल्कुल सच है। धरोहर गांव नग्गर से करीब 3 किलोमीटर दूर मशाड़ा गांव में यमलोक का यह दरवाजा देवी कैलाशिनी माता मंदिर के प्रांगण में मौजूद है। 

मैदान में एक धंसी हुई जगह के रूप दिखता है दरवाजा
इस दरवाजे को मैदान में एक धंसी हुई जगह के रूप में देखा जा सकता है। इस जगह पर कितनी भी मिट्टी व पत्थर डालकर इसे समतल किया जाए तो भी यमलोक के द्वार के नाम से विख्यात यह थोड़ा हिस्सा धंसा ही रहेगा। बुजुर्ग बताते हैं कि पूर्व में कई बार इस जगह पर देवलुओं ने मिट्टी डालकर जगह को समतल करने का प्रयास किया लेकिन मैदान का थोड़ा-सा हिस्सा कभी समतल हुआ ही नहीं। इस जगह को स्थानीय लोग जोंपरी रा द्वार के नाम से पुकारते हैं। स्थानीय बोली में यमपुरी को जोंपरी कहते हैं। कई बार देवी किसी बात पर नाराज होती हैं तो वह भी लोगों को चेताती हैं कि सुधर जाओ अन्यथा मैं जोंपरी का द्वार खोल दूंगी। हालांकि मानव गलती का पुतला है और कई बार छोटी-मोटी गलतियां हो भी जाती हैं। ऐसे में देवी की चेतावनी के बाद लोग सही रास्ते पर आ जाते हैं और देवी के आदेशानुसार ही कार्य करते हैं। 

यहां सुनाई देती हैं अजीब आवाजें
यमपुरी के द्वार के नाम से विख्यात इस जगह को लेकर लोग बताते हैं कि इस जगह पर यदि कान लगाकर शांत माहौल में सुनने का प्रयास किया जाए तो अजीब आवाजें सुनाई देती हैं। कई बार चीखने-चिल्लाने तो कई बार डरावनी आवाजें सुनाई देती हैं। ग्रामीणों प्रताप चंद, अमर चंद, नरेंद्र कुमार, नीशू, रोशन लाल, मोहन लाल, देवी के गुर सुरेंद्र कुमार शर्मा, पूर्ण चंद व चंद्रशेखर शर्मा आदि ने कहा कि इस जगह को पूर्व में कई बार समतल करने का प्रयास किया गया। इसके लिए मैदान में मिट्टी भी डाली गई। बाकी जगह तो समतल हुई लेकिन यमपुरी के द्वार वाले स्थान पर मिट्टी की परत धंसती जाती है। 

इस जगह पर जाने की मनाही
यमपुरी के द्वार के नाम से विख्यात इस जगह पर लोगों के आने-जाने की मनाही है। इस जगह पर कभी पूजा-अर्चना भी नहीं की जाती है। जब देवी का रथ माता कैलाशिनी मंदिर में आता है तो इस जगह पर सिर्फ देवी का रथ जाता है और पुजारी घंटी की आवाज के माध्यम से देवी की मौजूदगी को दर्शाते हैं। लोग बताते हैं कि देवी की कृपा से ही स्थिति ऐसी है कि यहां सिर्फ मिट्टी धंसती है लेकिन यह दरवाजा खुलता नहीं। 

देवी की चेतावनी को नहीं कर सकते नजरअंदाज
देवी त्रिपुरा सुंदरी ही देवी कैलाशिनी हैं। त्रिपुरा सुंदरी के रूप में देवी नग्गर में विराजमान हैं तो देवी कैलाशिनी के रूप में मशाड़ा में विराजमान हैं। देवी कैलाशिनी का अपना कोई देवरथ नहीं है। देवी त्रिपुरा सुंदरी के रथ में ही देवी कैलाशिनी का भी वास है। देवी के कारदार जोङ्क्षगद्र आचार्य बताते हैं कि माता द्वारा यमपुरी का द्वार खोलने की चेतावनी को लोग गंभीरता से लेते हैं। माना जाता है कि यदि देवी ने सच में इस दरवाजे को खोल दिया तो इलाके में जानमाल का भारी नुक्सान हो सकता है। इसलिए इस चेतावनी को किसी भी कीमत पर नजरअंदाज नहीं कर सकते।

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