सुनने में असमर्थ सब्जी विक्रेता की बेटी ने हासिल किए गोल्ड मेडल, पढ़िए सक्सेस स्टोरी (PICS)

Edited By Ekta, Updated: 06 Nov, 2018 04:56 PM

the gold medal of the vegetable seller daughter unable to hear

योल कैंट की रेणु थापा ने साबित कर दिया है कि मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके हौसलों में उड़ान होती है। 9 साल की उम्र में गंभीर बीमारी का शिकार होकर सुनने की क्षमता खोने वाली रीजनल सेंटर मोहली (खनियारा) की छात्रा रेणु ने 2016 के सत्र में एम.कॉम. और...

धर्मशाला (सौरभ सूद):  योल कैंट की रेणु थापा ने साबित कर दिया है कि मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके हौसलों में उड़ान होती है। 9 साल की उम्र में गंभीर बीमारी का शिकार होकर सुनने की क्षमता खोने वाली रीजनल सेंटर मोहली (खनियारा) की छात्रा रेणु ने 2016 के सत्र में एम.कॉम. और व्यवसाय प्रबंधन में प्रदेशभर में प्रथम स्थान हासिल कर गत दिनों प्रदेश वि.वि. के दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों 2 गोल्ड मेडल पाकर यह साबित कर दिया कि कड़ी मेहनत और मजबूत इरादों से मनचाही सफलता हासिल की जा सकती है। योल में सब्जी बेचने वाले मोहब्बत सिंह थापा की यह होनहार बेटी आज उन युवाओं के लिए मिसाल बन गई है, जो अपनी मंजिल की राह में आने वाली बाधाओं के आगे हार मान लेते हैं।
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पंजाब केसरी के साथ विशेष भेंट में रेणु ने कहा कि कुदरत की नाइंसाफी को मैंने अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। मैंने अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ा संघर्ष किया। संघर्ष की इस यात्रा में मेरे माता-पिता, बहन, दोस्तों और सबसे बढ़कर शिक्षकों ने हर कदम पर साथ दिया। रेणु कहती हैं कि उसने रोजाना 12 से 14 घंटे तक पढ़ाई की। क्लास में लेक्चर के नोट्स बनाकर देर रात तक अभ्यास करती थी। कोई ट्यूशन भी नहीं ली। रेणु के पिता ने कहा कि बेटी का बड़े से बड़े अस्पताल में इलाज करवाया, लेकिन हर जगह निराशा हाथ लगी। फिर ठान लिया कि बेटी की दिव्यांगता को उसकी कमजोरी नहीं बनने देंगे और उसे पढ़ा-लिखाकर अपने पैरों पर खड़ा करेंगे।
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खाद्य आपूर्ति मंत्री किशन कपूर ने भी उस समय उनका हौसला बढ़ाया और मदद की। अपनी बेटी की सफलता पर उन्हें गर्व है। उनको उम्मीद है कि अब सरकार उनकी बेटी को नौकरी देगी। रेणु ने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता और गुरुजनों को देते हुए कहा कि अब उसका अगला लक्ष्य एम. फिल. और पी.एच.डी. करना है। टंग नरवाणा स्कूल से पढ़ाई करने वाली रेणु इंटरमीडिएट में जिला कांगड़ा में प्रथम रही थी और 2014 में भी उसने बी. कॉम. में मेरिट में जगह बनाई थी।
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शिक्षकों ने दी किताबें, सहेलियां बनीं सहारा
रेणु कहती है कि गरीबी के चलते उस समय परिजन उच्च शिक्षा दिलाने में असमर्थ थे। ऐसे में गुरुजनों ने उसकी पढ़ाई का जिम्मा उठाया। धर्मशाला कालेज के प्रोफेसर नरेंद्र नाथ शर्मा, प्रो. मदन गुलेरिया और रीजनल सेंटर मोहाली के प्रो. मनोज शर्मा ने उसका हर कदम पर साथ दिया। पढ़ाई के लिए किताबें दीं, फीस भरी और अलग से स्टाफ रूम में पढ़ाया। स्कूल से लेकर कालेज की पढ़ाई के दौरान सहेलियां सहारा बनीं जो घर से कालेज तक साथ रहती थीं।
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होंठों की भाषा समझ लेती है रेणु
विधाता ने बेशक रेणु थापा से अन्याय किया हो, लेकिन रेणु को भगवान पर पूरा विश्वास है। उसने कड़ी मेहनत कर बिना स्पीच थेरेपी लिए होंठों की भाषा समझने में कामयाबी हासिल कर ली है। इसमें मां आशा थापा और बहन मोनिका थापा ने भी उसकी मदद की। इन दिनों रेणु धर्मशाला सब्जी मंडी में अकाउंटेंट की जॉब कर रही है, साथ ही बैंकिंग की कोचिंग ले रही है। 

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