कभी नसीब नहीं होता था एक वक्त का खाना, आज असिस्टैंट प्रोफैसर बनकर रोशन किया गांव का नाम

Edited By Kuldeep, Updated: 13 Jul, 2024 07:44 PM

sihunta bharat singh assistant professor

भटियात की रजैं पंचायत के भौंट गांव के डा. भरत सिंह का चयन केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला में असिस्टैंट प्रोफैसर हिंदी के पद पर होने से क्षेत्र में खुशी का माहौल है।

सिहुंता (सुभाष): भटियात की रजैं पंचायत के भौंट गांव के डा. भरत सिंह का चयन केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला में असिस्टैंट प्रोफैसर हिंदी के पद पर होने से क्षेत्र में खुशी का माहौल है। भरत सिंह ने विकट परिस्थितियों में अपनी पढ़ाई को पूरा करते हुए सहायक प्रोफैसर के पद पर नियुक्ति लेकर क्षेत्र का नाम रोशन किया। भावी पीढ़ी के लिए यह उपलब्धि हासिल करके एक सन्देश भी दिया है। प्राइमरी स्कूल भौंट से पांचवीं की पढ़ाई की है इसके बाद मैट्रिक की पढ़ाई खरगट स्कूल से उत्तीर्ण करने के बाद जमा 2 तक की पढ़ाई राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला सिहुंता से उत्तीर्ण की। इसके उपरांत स्नातक व स्नातकोत्तर के आगे की पढ़ाई सैंट्रल यूनिवर्सिटी धर्मशाला से ही करने के बाद पीएचडी की उपाधि गद्दी समुदाय के लोक साहित्य आधारित विषय पर 2023 में हासिल की। भरत के 23 से अधिक शोध आलेख अब तक प्रकाशित हो चुके हैं।

इसके साथ ही 2 पुस्तकें गद्दी जनजातीय के लोकगीत व नुआला आधारित प्रकाशित हुई हैं, जिनका विमोचन हिमाचल के राज्यपाल के कर कमलों से गत वर्ष हुआ था। डा. भरत के पिता कुंज लाल एक भेड़पालक हैं तथा माता सुनीता देवी का भरत की पढ़ाई के दौरान ही देहांत हो गया था। भरत ने अपने शुरुआती दौर से अनेकों परेशानियों को झेला है। दुर्गम गांव में जन्मे भरत ने यहां अभाव वाले स्कूल में पढ़ाई की तथा खरगट और सिहुंता में मैट्रिक व जमा 2 की पढ़ाई के लिए पैदल 10 से 12 किलोमीटर का रास्ता दिन में तय करना पड़ता था। कई बार समय पर खाना भी नसीब नहीं होता था, परंतु किसी प्रकार के अभाव पर ध्यान न देते हुए केवल पढ़ाई पर अपना ध्यान केंद्रित रखा तथा अपने मुकाम तक पहुंचने के लिए सदैव संघर्ष किया और अब कामयाबी डा. भरत सिंह ने हासिल की है। वर्तमान में डीएवी महाविद्यालय कांगड़ा में बतौर सहायक आचार्य अपनी सेवाएं दे रहे थे। डा. भरत ने अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवारजनों और गुरुजनों को दिया है। उन्होंने कहा कि प्रारम्भिक शिक्षा में भी अध्यापकों व अभिभावकों ने पढ़ाई के साथ तय लक्ष्य के लिए कड़ी मेहनत का दिया मार्गदर्शन ही इस उपलब्धि का आधार है।

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