स्वच्छता अभियान को दिखाया ठेंगा, जहां खाया वहीं फैला दी गंदगी

Edited By Vijay, Updated: 21 Aug, 2018 07:57 PM

shown thumb to cleanliness campaign dirt spread where there is eaten

श्रावण अष्टमी मेलों का सफलतापूर्ण समापन तो हो गया लेकिन यह मेला प्रकृति पर काफी चोट भी कर गया। लाखों की तादाद में आए श्रद्धालुओं के लिए जगह-जगह लंगर व्यवस्था भी की गई थी।

ऊना (सुरेन्द्र): श्रावण अष्टमी मेलों का सफलतापूर्ण समापन तो हो गया लेकिन यह मेला प्रकृति पर काफी चोट भी कर गया। लाखों की तादाद में आए श्रद्धालुओं के लिए जगह-जगह लंगर व्यवस्था भी की गई थी। निश्चित रूप से विभिन्न सामाजिक व धार्मिक संगठनों ने नि:शुल्क लंगर श्रद्धालुओं को मुहैया करवाए लेकिन इससे बड़ी समस्या कचरे के प्रबंधन को लेकर भी सामने आई है। मेला खत्म होने के बाद यहां के सौंदर्य के लिए पहचाने जाने वाली पहाडिय़ां प्लास्टिक युक्त कचरे, प्लेटों, गिलासों एवं अन्य सामग्री से लवरेज हो गई हैं। शायद ऐसी कोई जगह होगी जो साफ-सुथरी रही हो। स्वच्छता को लेकर जितनी अलख जगाई जा रही है, शायद उतनी ही लापरवाही इस संबंध में बरती गई है।
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श्रद्धालुओं की भी होनी चाहिए जिम्मेदारी
जिम्मेदारी उन श्रद्धालुओं की भी होनी चाहिए जो श्रद्धाभाव से मंदिरों में माथा टेकने के लिए तो आते हैं लेकिन अपने पीछे छोड़ जाते हैं गंदगी और कचरा। कुछ स्थानों पर लंगर संस्थाओं ने डस्टबिन भी लगाए थे परन्तु इनमें कचरा फैंकने की बजाय भोजन सामग्री लेने के बाद श्रद्धालुओं ने इसे सड़क पर ही फैंक दिया। सफाई को लेकर मंदिर प्रशासन ने नियम भी कड़े बनाए थे। हिदायतें भी जारी की गई थीं लेकिन बावजूद इसके हालात काफी खराब देखने को मिल रहे हैं।
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प्रकृति को उठाना पड़ रहा नुक्सान
पंजाब के होशियारपुर से हिमाचल के भरवाईं-चिंतपूर्णी तक का रोड श्रद्धालुओं से भरा हुआ था। प्रशासनिक आंकड़ों के मुताबिक 5 लाख श्रद्धालुओं ने ङ्क्षचतपूर्णी मंदिर में ही माथा टेका। हालांकि यह संख्या इससे भी अधिक थी। निश्चित रूप से इतनी तादाद में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्थाएं भी अधिक चाहिए थीं। साफ-सफाई को लेकर ज्यादा संसाधन न होने की वजह से प्रकृति को काफी नुक्सान भी सहना पड़ा है। होशियारपुर से चिंतपूर्णी तक पूरा मार्ग पहाडिय़ों से घिरा हुआ है, ऐसे में हजारों टन प्लास्टिक युक्त कचरा सामग्री यहां के पेड़-पौधों और वनस्पतियों के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न कर गया है।
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बीमारियां फैलने का बना भय
हालात ये हैं कि कई जगह तो धरती सफेद हो चुकी है। मानों यहां बर्फ की चादर बिछी है। इसका कारण यह है कि लंगर वितरण के दौरान जिन सफेद पत्तलों और अन्य सामग्री का प्रयोग किया गया था, उसे यूज करने के बाद यहीं पर छोड़ दिया गया है। सफाई की जिम्मेदारी किसी ने भी नहीं समझी, ऐसे में प्रकृति के लिए यह काफी घातक सिद्ध हुआ है। पूरी सड़क के दोनों तरफ सफेद कचरा सामग्री यहां आने-जाने वाले लोगों के लिए खतरे का सबब भी बनी हुई है। इससे बीमारियां फैलने का भय बना हुआ है। जंगली जीव-जंतुओं के लिए भी यह घातक सिद्ध हो रही है।
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जहां खाया वहीं फैंक दिया कचरा
ऊना प्रशासन ने हालांकि मेलों से पहले सफाई व्यवस्था को लेकर पंजाब के होशियारपुर जिला प्रशासन के साथ भी मुद्दा उठाया था। इसके बाद कुछ स्थानों पर डस्टबिन लगाए गए थे परन्तु वे भी  अपर्याप्त दिखे। सबसे बड़ी बात तो यह है कि लोग भी स्वच्छता पर जागरूक नहीं हैं। जहां खाया वहीं कचरा फैंक दिया। कोई भी प्रकृति को लेकर गंभीर नहीं है, जिसकी वजह से सरकारी तंत्र भी हांफ गया है।
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क्या कहते हैं ऊना के डी.सी.
डी.सी. ऊना राकेश् प्रजापति ने कहा कि इस मामले को होशियारपुर के डी.सी. के समक्ष भी उठाया गया था। एक बार फिर से बात की जाएगी। हिमाचल क्षेत्र में तो डस्टबिन लगाए गए थे और मेले खत्म होने के बाद सफाई भी सुनिश्चित की गई है। लाखों की तादाद में श्रद्धालु आए और काफी कचरा यहां पर फैंका गया है। समस्या है लेकिन स्वच्छता को लेकर लोगों में भी जागरूकता फैलाई जाएगी और प्रशासन भी व्यवस्था करेगा ताकि कचरा खुले में न फैंका जा सके। इस बार प्रशासन की बेहतर व्यवस्थाओं की वजह से अधिकतर कचरे का निवारण कर दिया गया है।

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