पैनडाऊन स्ट्राइक के चलते स्वास्थ्य मंत्री से होगी एच.एम.ओ.ए. की बैठक

Edited By Kuldeep, Updated: 11 Mar, 2024 09:20 PM

shimla pandown strike health minister meeting

54 दिनों से काले बिल्ले और 21 दिनों से पैनडाऊन स्ट्राइक पर एन.पी.ए. सहित अपनी मांगों को लेकर डटे प्रदेशभर के डाक्टरों का आंदोलन जारी है। स्वास्थ्य मंत्री कर्नल डा. धनीराम शांडिल द्वारा एच.एम.ओ.ए. के पदाधिकारियों को मंगलवार को वार्ता के लिए बुलाया...

शिमला (संतोष): 54 दिनों से काले बिल्ले और 21 दिनों से पैनडाऊन स्ट्राइक पर एन.पी.ए. सहित अपनी मांगों को लेकर डटे प्रदेशभर के डाक्टरों का आंदोलन जारी है। स्वास्थ्य मंत्री कर्नल डा. धनीराम शांडिल द्वारा एच.एम.ओ.ए. के पदाधिकारियों को मंगलवार को वार्ता के लिए बुलाया गया है और वार्ता उपरांत ही एच.एम.ओ.ए. आगामी निर्णय लेगा। 12 बजे स्वास्थ्य मंत्री की हिमाचल चिकित्साधिकारी संघ के साथ बैठक होनी तय हुई है। बैठक में यदि मांगें पूरी होती हैं तो डाक्टर अपना आंदोलन रोक देंगे, अन्यथा अढ़ाई घंटे की पैनडाऊन स्ट्राइक और दोपहर 12 बजे के बाद ऑप्रेशन जारी रखेंगे या फिर मंगलवार को आगामी ठोस रणनीति अपनाएंगे।

एच.एम.ओ.ए. के प्रदेशाध्यक्ष डा. राजेश राणा, महासचिव डा. विकास ठाकुर ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्री ने एच.एम.ओ.ए. को वार्ता के लिए बुलाया है और यदि वार्ता में उनकी मांगें पूरी होती हैं तो उस हिसाब से निर्णय लिया जाएगा अन्यथा आगामी ठोस रणनीति अपनाने को वे बाध्य हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि पिछली कैबिनेट मीटिंग में डाक्टरों को किसी भी मांग पर कोई भी फैसला नहीं आया है, जिससे सभी में रोष है।

संघ मुख्यमंत्री से आह्वान करता है कि उनकी मांगें जायज हैं और इन्हें जनहित में शीघ्र पूरा किया जाए। संघ की मुख्यमंत्री से मांग है कि अफसरशाही के बहकावे में न आकर जनहित में स्वास्थ्य संस्थानों में डाक्टरोंं एवं सभी कर्मचारियों के पदों को सृजित करने के साथ-साथ रिक्त पदों को शीघ्र भर कर प्रदेश की जनता को बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाओं की प्राप्ति से वंचित न रखा जाए क्योंकि पिछले डेढ़ वर्ष में एम.बी.बी.एस. डाक्टर की कोई भी नियुक्ति विभाग नहीं कर पाया है, जोकि प्रदेश की जनता की स्वास्थ्य सेवाओं से सीधा खिलवाड़ है।

डाक्टरों की पैनडाऊन स्ट्राइक से मरीज हो रहे हैं बेहाल
प्रदेश के मरीजों की दिक्कत इस कदर बढ़ गई है कि वे डाक्टरों से जांच पहले दिन करवाते हैं जबकि टैस्ट आदि अन्य रिपोर्ट लेकर दूसरे दिन अस्पतालों में पहुंचने को लाचार हो गए हैं। डाक्टरों की अढ़ाई घंटे की पैनडाऊन स्ट्राइक के कारण 12.30 बजे से ओ.पी.डी. शुरू होती है और भूखे-प्यासे मरीज यहां अपनी बारी का इंतजार ही करते हैं और जब उनका नंबर आता है तो टैस्ट करवा पाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में दूसरे दिन सुबह खाली पेट टैस्ट करवाने के उपरांत ही डाक्टर को दिखाने के लिए लोग विवश हैं। इसमें उन्हें दो से तीन दिनों का वक्त लग रहा है। खासतौर पर दूरदराज से आने वाले मरीजों को भारी परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं और उन्हें शिमला में रुककर ही यहां होटलों व गैस्ट हाऊसों में रहने को बाध्य होना पड़ रहा है।

शिमला के सबसे बड़े जोनल अस्पताल डी.डी.यू. में मरीज सुबह ही पहुंच जाते हैं लेकिन ओ.पी.डी. 12.30 बजे के बाद से ही आरंभ होती है। ऐसे में उनके पास सिवाय इंतजार के कुछ हाथ नहीं आता है। डी.डी.यू. शिमला का आई.जी.एम.सी. के बाद दूसरा बड़ा अस्पताल है और यहां पर शिमला जिले के ही नहीं, अपितु बिलासपुर, सोलन, सिरमौर, किन्नौर, कुल्लू आदि जिलों के दूरदराज के मरीज उपचार के लिए आते हैं। यहां पर प्रतिदिन 1400 से 1500 की ओ.पी.डी. होती है और डाक्टरों के पैनडाऊन स्ट्राइक पर जाने के कारण मरीजों को खासी परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं। अब तो डाक्टर रूटीन के ऑप्रेशन भी 12 बजे के बाद आरंभ करते हैं।

नेरवा से आए श्याम सिंह, करसोग के हीरा लाल, चौपाल की शिवानी, कुमारसेन के नरेश कुमार आदि ने कहा कि वह सुबह से यहां अस्पताल में आए है, लेकिन ओ.पी.डी. में डाक्टर ही उपलब्ध नहीं होते है। ऐसे में उन्हें पूरी जांच करवाने में दो से तीन दिन लग जाएंगे, क्योंकि पहले डाक्टर उनकी जांच करेगा और उसके बाद टैस्ट करवाएगा, जो एक दिन में होना मुमकिन नहीं है, इसके लिए अगला दिन लग जाता है और शाम तक रिपोर्ट मिलती है। ऐसे में दूसरे दिन भी डाक्टरों को दिखा पाना मुश्किल हो जाता है और तीसरे दिन जाकर नंबर लगता है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि डाक्टरों की मांगों को अविलंब पूरा किया जाए।

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