कांग्रेस के बागी विधायकों को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत

Edited By Kuldeep, Updated: 18 Mar, 2024 05:55 PM

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हिमाचल विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित किए गए कांग्रेस के 6 बागियों को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। सोमवार को बागियों की याचिका पर हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष के उस फैसले पर रोक लगाने से इंकार कर दिया जिसके तहत...

शिमला (राक्टा): हिमाचल विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित किए गए कांग्रेस के 6 बागियों को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। सोमवार को बागियों की याचिका पर हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष के उस फैसले पर रोक लगाने से इंकार कर दिया जिसके तहत अयोग्य करार दिए जाने के फैसले पर तुरंत रोक लगाने का आग्रह किया गया था। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेशों में ये भी साफ किया है कि अयोग्य ठहराए गए विधायकों को विधानसभा में वोटिंग या कार्यवाही में हिस्सा लेने की इजाजत नहीं होगी। साथ ही न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया के कार्यालय को नोटिस जारी किया और 4 सप्ताह में याचिका पर जवाब देने को कहा है।

पीठ ने साफ किया है कि याचिका लंबित रहने तक उन्हें विधानसभा की कार्यवाही में भाग लेने या वोट देने की अनुमति नहीं दी जाएगी। साथ ही पीठ ने कहा कि 6 रिक्त सीटों पर उपचुनाव के संबंध में हम यह देखेंगे कि क्या याचिका के लंबित रहने के दौरान निर्वाचन आयोग द्वारा अधिसूचित चुनाव को रोका जाना चाहिए। गौर हो कि प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष ने गत 29 फरवरी को कांग्रेस पार्टी के 6 बागी विधायकों सुधीर शर्मा, राजेंद्र राणा, इंद्रदत्त लखनपाल, रवि ठाकुर, देवेंद्र भुट्टो और चैतन्य शर्मा की सदस्यता को पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने पर समाप्त कर दिया था। हिमाचल विधानसभा के इतिहास में पहली बार इस तरह का निर्णय विधानसभा अध्यक्ष की तरफ से सुनाया गया है। इसके बाद बागियों की तरफ से इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। सोमवार को उनकी याचिका पर दूसरी बार सुनवाई हुई।

अब 6 मई को होगी अगली सुनवाई
उच्चतम न्यायालय ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए 6 मई की तारीख तय की और बागी विधायकों को अपना जवाब दाखिल करने के लिए 1 सप्ताह का समय दिया। वहीं देखा जाए तो प्रदेश में विधानसभा की 6 रिक्त सीटों के लिए नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया 7 मई को शुरू होनी है। ऐसे में अब 6 मई को होने वाली सुनवाई पर सभी की नजरें रहेंगी। देखा जाए तो 6 विधायकों की अयोग्यता के बाद सदन में सदस्यों की संख्या 68 से घटकर 62 रह गई जबकि कांग्रेस विधायकों की संख्या 40 से कम होकर 34 रह गई।

नोटिस का दिया जाएगा जवाब : विनय कुमार
वहीं विधानसभा उपाध्यक्ष विनय कुमार ने कहा कि जो भी कार्रवाई हुई है, वह नियमों के अनुसार हुई है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से जो नोटिस जारी हुआ है, उसका जवाब दिया जाएगा।

क्या है मामला
एक शिकायत पर प्रदेश विधानसभा में फाइनांस बिल पर अनुपस्थित रहने के चलते कांग्रेस के 6 विधायकों पर पार्टी व्हिप के उल्लंघन पर एक कार्रवाई हुई और उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया। साथ ही उनकी सीटों को खाली घोषित कर दिया गया। ऐसे में निर्वाचन आयोग ने भी संबंधित 6 विस क्षेत्रों में उपचुनाव करवाए जाने की घोषणा कर दी है। कांग्रेस के 6 बागियों द्वारा राज्यसभा चुनाव में पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ अपने मत का प्रयोग किया गया था।

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