सीमावर्ती क्षेत्रों में तबादला नीति पर सख्ती से पालन करने के निर्देश

Edited By Kuldeep, Updated: 01 May, 2023 05:39 PM

shimla border area transfer instructions

राज्य सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्रों में तबादला नीति पर सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए हैं। तबादलों को लेकर यह गाइडलाइन राज्य सरकार की तरफ से सामान्य तबादलों पर प्रतिबंध लगाने के बाद जारी की गई है।

शिमला (कुलदीप): राज्य सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्रों में तबादला नीति पर सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए हैं। तबादलों को लेकर यह गाइडलाइन राज्य सरकार की तरफ से सामान्य तबादलों पर प्रतिबंध लगाने के बाद जारी की गई है। इसके अनुसार विशेष परिस्थिति और प्रशासनिक कारणों को छोड़कर एक स्थान पर 3 वर्ष के बाद ही तबादला होगा। सरकार की तरफ से जारी निर्देशों में कहा गया है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में तबादलों को लेकर जारी गाइडलाइन पर अमल नहीं हो रहा है। ऐसे में सरकार ने वर्ष 2013 में जारी गाइडलाइन पर अनुसरण करने को कहा है। उल्लेखनीय है कि नगर निगम शिमला की चुनाव प्रक्रिया के बीच राज्य सरकार ने सामान्य तबादलों पर प्रतिबंध लगाया है। इसके तहत अब मुख्यमंत्री ही विशेष परिस्थिति और प्रशासनिक कारणों को ध्यान में रखकर तबादले कर सकते हैं। इसमें संबंधित मंत्री की अनुमति लेना अनिवार्य रहेगा।

सामान्य तबादलों पर प्रतिबंध के दौरान कुछ प्रमुख कारणों को ध्यान में रखकर ही तबादले होंगे, जिसमें दुर्गम, कठिन और जनजातीय क्षेत्रों में खाली पदों को भरना, सेवानिवृत्ति और पदोन्नति से पद खाली व नए पद सृजित करने, अनुशासनात्मक कार्रवाई की स्थिति, विजीलैंस और आपराधिक मामलों तथा प्रशासनिक कारण प्रमुख हैं। कार्मिक विभाग की तरफ से ये निर्देश प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों, मंडलीय आयुक्तों, उपायुक्तों, निगम-बोर्ड व स्वायत्त संस्थान के अधिकारियों के अलावा सरकार से संबद्ध सभी अधिकारियों को जारी किए गए हैं। सरकार की तरफ से जारी इन निर्देशों पर यदि किसी स्तर पर कोताही बरती जाती है तो उस स्थिति में कड़ा नोटिस लिया जाएगा।

सीमावर्ती क्षेत्रों को लेकर सामने आई हंै शिकायतें
राज्य सरकार के पास ऐसी शिकायतें मिली हैं कि सीमावर्ती क्षेत्रों में तबादलों पर सही तरीके से अमल नहीं हो रहा है। कई मामलों में देखा गया है कि पुलिस और आबकारी एवं कराधान से संबंधित बैरियर इत्यादि स्थानों पर बार-बार अधिकारी व कर्मचारी तबादले के बाद पहुंच जाते हैं। इससे भ्रष्टाचार जैसे मामलों की शिकायतें भी देखने को मिलती हैं। राज्य विधानसभा में भी इस तरह के मामले उठे हैं, जिस पर सरकार की तरफ से कड़ा संज्ञान लेने की बात कही गई थी।

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