विश्रांति के निर्माण के लिए किताबों की रॉयल्टी और लोकतंत्र प्रहरी सम्मान राशि देंगे शांता कुमार

Edited By Vijay, Updated: 24 Apr, 2021 11:35 PM

shanta kumar in palampur

विवेकानंद ट्रस्ट की ओर से बनाए जा रहे वरिष्ठ नागरिक सदन के निर्माण के लिए शांता कुमार अपनी तथा धर्मपत्नी द्वारा लिखित पुस्तकों की रॉयल्टी देंगे। वहीं उन्होंने प्रदेश सरकार द्वारा आपातकाल के लिए ‘लोकतंत्र प्रहरी’ सम्मान राशि को भी इस कार्य के लिए...

पालमपुर (भृगु): विवेकानंद ट्रस्ट की ओर से बनाए जा रहे वरिष्ठ नागरिक सदन के निर्माण के लिए शांता कुमार अपनी तथा धर्मपत्नी द्वारा लिखित पुस्तकों की रॉयल्टी देंगे। वहीं उन्होंने प्रदेश सरकार द्वारा आपातकाल के लिए ‘लोकतंत्र प्रहरी’ सम्मान राशि को भी इस कार्य के लिए देने का निर्णय लिया है। वहीं उनकी धर्मपत्नी के निधन के पश्चात शांता कुमार को मिलने वाली धर्मपत्नी की पैंशन भी इस कार्य पर व्यय की जाएगी। विवेकानंद ट्रस्ट द्वारा 100 लोगों के ठहरने के लिए वरिष्ठ नागरिक सदन का विश्रांति निर्माण करवाया जा रहा है। इसके लिए तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग द्वारा 6 करोड़ की धनराशि कार्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के अंतर्गत उपलब्ध करवाई गई थी। 14 करोड़ की इस परियोजना के लिए शेष धनराशि भी तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग द्वारा उपलब्ध करवाई जानी थी, परंतु कोविड-19 के कारण ऐसा नहीं हो पाया है।

बकौल शांता कुमार मेरी और धर्मपत्नी संतोष की लगभग 36 पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। आज से 5 वर्ष पहले दोनों ने फैसला किया था कि हमारी यह लेखन की कमाई बहुत पवित्र है। इसे समाजसेवा में लगाएंगे। वहीं आज से लगभग 45 साल पहले आपातकाल में हम 19 महीने जेल में रहे और सरकार ने लोकतंत्र प्रहरी सम्मान दिया है और पैंशन देने का भी निर्णय लिया है। मैं यह पैंशन नहीं लेना चाहता था। 45 वर्ष पहले यदि हमने देश के लिए कुछ किया था तो इतने समय बाद उसके बदले में कुछ भी लेना मुझे अच्छा नहीं लगा, परंतु मैंने सोचा कुछ और उस समय के मित्रों को इसकी आवश्यकता हो सकती है। मैं अब यह पैंशन लूंगा, परंतु इसका उपयोग समाजसेवा में करूंगा।

मुझे यह जानकर हैरानी हुई कि मेरी धर्मपत्नी के निधन के बाद उसकी पैंशन का भी एक हिस्सा मुझे मिलेगा। हर महीने वह धन प्राप्त करके मुझे मानसिक पीड़ा होती रहेगी। इसलिए मैंने सोचा है कि इसका उपयोग भी समाजसेवा में ही होगा। विवेकानंद ट्रस्ट की ओर से एक वरिष्ठ नागरिक सदन 100 लोगों के लिए बनाने का काम चल रहा है। कोरोना के कारण कुछ अड़चन पड़ी है परंतु मुझे विश्वास है कि बहुत जल्दी हम उसे पूरा करेंगे। हमने उसका नाम वृद्ध आश्रम नहीं रखा। जीवन भर काम करके जीवन के अंतिम समय में यहां आने वाले लोग एक आनंदपूर्ण जीवन व्यतीत कर सकेंगे। इसलिए विश्रांति नाम रखना और उसमें बहुत बढ़िया पुस्तकालय, रीडिंग रूम और योग भवन इत्यादि की व्यवस्था होगी। इसके अलावा एक भव्य मंदिर भी बनाने की योजना है, जिसमें सुबह-शाम आरती होगी।

शांता ने कहा कि आप में से जो मित्र मेरी आत्मकथा खरीदकर पढेंग़े, उन्हें इस बात की प्रसन्नता होगी कि उनके खर्च किए उस धन का एक छोटा-सा अंश मुझे रॉयल्टी में मिलता है, वह उस मंदिर में लगेगा। इस प्रकार हमारी पुस्तकों का हर खरीददार परोक्ष रूप में उस मंदिर के लिए दान दे रहा है।

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