15वें वित्तायोग की टीम बोली-हिमालयी राज्यों पर विशेष ध्यान की आवश्यकता

Edited By Vijay, Updated: 26 Sep, 2018 11:11 PM

require special attention for himalayan states

15वें वित्तायोग के अध्यक्ष एन.के. सिंह ने कहा है कि प्राकृतिक आपदाओं के मामले में संवेदनशील माने जाने वाले हिमालयी राज्यों पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। हिमालयी और पूर्वोत्तर राज्यों में आ रही इस तरह की समस्या की तरफ आयोग केंद्र सरकार का...

शिमला: 15वें वित्तायोग के अध्यक्ष एन.के. सिंह ने कहा है कि प्राकृतिक आपदाओं के मामले में संवेदनशील माने जाने वाले हिमालयी राज्यों पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। हिमालयी और पूर्वोत्तर राज्यों में आ रही इस तरह की समस्या की तरफ आयोग केंद्र सरकार का ध्यान भी आकर्षित करेगा। उन्होंने पर्यटन को हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी का मुख्य आधार माना और इसके लिए रेल एवं हवाई परिवहन पर ध्यान देने पर बल दिया। इसी तरह सड़क यातायात में भी सुधार लाने की बात कही। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में पन विद्युत क्षेत्र में उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं। पन विद्युत उत्पादन से प्रदेश को लाभ मिले, इसे देखते हुए नवीकरणीय ऊर्जा नीति की तरह प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। वह यहां पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। वित्तायोग के सचिव अरविंद मेहता और आयोग के अन्य सदस्य भी इस अवसर पर मौजूद थे।

प्राकृतिक आपदाओं के मामले में बहुत संवेदनशील हैं हिमालयी राज्य
वित्तायोग के अध्यक्ष ने माना कि हिमाचल प्रदेश सहित हिमालयी राज्य प्राकृतिक आपदाओं के मामले में बहुत संवेदनशील हैं। राज्य में जारी मानसून के दौरान प्राकृतिक आपदाओं से भारी नुक्सान हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में प्राकृतिक आपदाओं को लेकर अध्ययन के उद्देश्य से आयोग विशेषज्ञों के दल को भेजेगा। विशेषज्ञों के दल के अध्ययन के बाद सरकार से इस विषय में वित्त पोषण के तौर-तरीकों को सुझाया जाएगा। उन्होंने कहा कि जी.एस.टी. लागू होने के बाद प्रदेश को होने वाले राजस्व घाटे की भरपाई के लिए केंद्र से 5 साल के लिए अनुदान राशि मिलेगी, जिसके बाद यह फार्मूला समाप्त हो जाएगी। ऐसे में अनुदान की अवधि समाप्त होने के बाद प्रदेश को होने वाले नुक्सान पर चिंता करनी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि वित्तायोग प्रदेश के राजस्व घाटा अनुदान को बढ़ाने की मांग पर विचार करेगा।

सीमावर्ती क्षेत्रों में नैटवर्क बढ़ाने की आवश्यकता
15वें वित्तायोग के अध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क सहित अन्य नैटवर्क बढ़ाने की आवश्यकता है। सरकार की तरफ से भी आयोग के ध्यान में यह मामला लाया गया। इस मामले को विशेष तौर पर केंद्रीय मंत्रालयों के ध्यान में लाया जाएगा। उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि जिला पंचायत समिति और जिला परिषद को वित्तायोग के माध्यम से अनुदान राशि दिए जाने पर विचार होगा। उन्होंने कहा कि आयोग का दल अब तक 9 राज्यों का दौरा कर चुका है और हिमाचल प्रदेश सहित सभी राज्यों में भी यह मांग उठी है। इसे देखते हुए पंचायती राज संस्थाओं के साथ स्थानीय निकायों को अनुदान देने और इसमें बढ़ौतरी पर विचार किया जाएगा।

शिक्षा-स्वास्थ्य के लिए वाहवाही लेकिन कर्जों पर जताई चिंता
उन्होंनेे शिक्षा और स्वास्थ्य के साथ कई अन्य क्षेत्रों में प्रदेश का अच्छा काम करने पर प्रसन्नता जताई, लेकिन प्रदेश सरकार के कर्जों पर चिंता भी जताई। उन्होंने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य सरकार की प्राथमिकता हैं। इसके अलावा पर्यटन व पन विद्युत क्षेत्र में प्रदेश को आगे बढऩे की आवश्यकता है। इससे प्रदेश की आर्थिकी में भी सुधार आएगा। उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से वन क्षेत्र को बचाने के एवज में अनुदान देने का आग्रह किया गया है, जिस पर पहले भी ध्यान दिया गया है। इसके विपरीत उन्होंने प्रदेश सरकार के कर्जों पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद का 38 फीसदी कर्ज स्वीकार्य नहीं है। हालांकि बीते 10 वर्षों में प्रदेश सरकारों ने जी.डी.पी. व कर्जों के अनुपात में कमी लाई है। उन्होंने कर्जों में कमी लाने के लिए मध्यम अवधि की योजना बनाए जाने पर भी बल दिया। इसके बावजूद यह काफी अधिक है और इसमें कमी लाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हिमाचल एफ.आर.बी.एम. कानून में संशोधन को तैयार हुआ है। 

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