पृथ्वी हमारा एकमात्र घर, मिलकर सभी को करनी होगी प्रकृति और ग्रह की रक्षा : दलाईलामा

Edited By Vijay, Updated: 22 Apr, 2022 10:28 PM

religious leader dalai lama

पृथ्वी हमारा एकमात्र घर है और हम सभी को प्रकृति और ग्रह की रक्षा के लिए काम करना चाहिए। इंसान ही नहीं, जानवर, पक्षी और कीड़े-मकोड़े, हर कोई एक सुखी जीवन जीना चाहता है। हम सभी को अपने सामूहिक अस्तित्व की चिंता करनी चाहिए। बदलता मौसम और तापमान में...

धर्मशाला (सचिन): पृथ्वी हमारा एकमात्र घर है और हम सभी को प्रकृति और ग्रह की रक्षा के लिए काम करना चाहिए। इंसान ही नहीं, जानवर, पक्षी और कीड़े-मकोड़े, हर कोई एक सुखी जीवन जीना चाहता है। हम सभी को अपने सामूहिक अस्तित्व की चिंता करनी चाहिए। बदलता मौसम और तापमान में लगातार हो रही बढ़ौतरी सभी के लिए चिंता का विषय है। यह बात धर्मगुरु दलाईलामा ने विश्व पृथ्वी दिवस के उपलक्ष्य पर अपने निवास स्थान मैक्लोडगंज में कही। उन्होंने कहा कि हमारी दुनिया काफी हद तक अन्योन्याश्रित है। नई चुनौतियां, जैसे कि जलवायु संकट, जो हम सभी को प्रभावित करता है। इसके अलावा ग्लोबल वामग व लगातार हो रहा वन कटाव पर्यावरण को काफी नुक्सान पहुंचा रहा है। इसे कम करने के लिए हमें खुद से पहले वैश्विक हित के बारे में सोचना होगा। उन्होंने कहा कि हमें जीवाश्म ईंधन पर अपनी निर्भरता को कम करने और ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों जैसे कि हवा और सूर्य की शक्ति पर निर्भर रहने वाले स्रोतों को अपनाने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है। वनों की कटाई पर ध्यान देना होगा और पर्यावरण की बेहतर सुरक्षा करनी होगी। पर्यावरण को बचाने के लिए हम सभी को अधिक से अधिक पौधे लगाने और उनकी देखभाल करने की आवश्यकता है।

पहले तिब्बत और बाद में धर्मशाला में बर्फबारी में गिरावट

दलाईलामा ने कहा कि उन्होंनेे अपने जीवन में पहले तिब्बत और बाद में धर्मशाला में बर्फबारी में गिरावट देखी है। उन्होंने कहा कि कुछ वैज्ञानिकों ने उन्हें बताया है कि तिब्बत जैसी जगहों के अंतत: रेगिस्तान बनने का खतरा है। इसलिए वह तिब्बत के नाजुक पर्यावरण की सुरक्षा के लिए आवाज उठाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। भले ही ग्लोबल वाॄमग की तीव्रता में वृद्धि हो रही है, लेकिन विशेष रूप से कई युवा समाधान खोजने और सांझा करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आजकल जब जलवायु संकट के कारण गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, तो हमें बदलाव के लिए समयसारिणी निर्धारित करके एक-दूसरे की मदद करनी होगी। मनुष्य के रूप में इस एक ग्रह पर रहते हुए हमें एक साथ खुशी-खुशी रहने का प्रयास करना चाहिए। धर्मगुरु दलाईलामा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का खतरा राष्ट्रीय सीमाओं तक सीमित नहीं है, यह हम सभी को प्रभावित करता है। 

दलाईलामा से मैक्लोडंगज में मिले सोनम वांगचुक 

लद्दाख के विख्यात पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक शुक्रवार को धर्मगुरु दलाईलामा से मैक्लोडगंज में मिले और उन्हें खारदुंग-ला के ग्लेशियर से लाया बर्फ का टुकड़ा भेंट किया। इस दौरान उन्होंने दलाईलामा से इस समस्या के बारे में चर्चा की और इसके समाधान को लेकर बात की। इस मौके पर उनके साथ विश्व भर के पर्यावरणविद् भी मौजूद रहे। वांगचुक ने कहा कि हमें हिमालय के एक टुकड़े को दुनिया के लिए एक संदेश के रूप में यहां लाने का अवसर मिला है, ताकि हम जलवायु परिवर्तन और जलवायु कार्रवाई की तात्कालिकता को समझ सकें। 

जुलाई और अगस्त में लद्दाख जाएंगे दलाईलामा

मार्च 2020 में कोविड महामारी की शुरूआत के बाद से मैक्लोडगंज स्थित आवास पर अधिकांश समय बिताने वाले तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा जुलाई और अगस्त के बीच लद्दाख बौद्ध संघ के अनुरोध पर लद्दाख का दौरा करेंगे। लद्दाख के थिकसे मठ के थिकसे रिनपोछे ने नोबेल शांति पुरस्कार विजेता दलाईलामा से मठ में आकर प्रवचन देने का अनुरोध किया था।

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