निजी बस संचालकों ने इस वजह से लिया बसें नहीं चलाने का फैसला

Edited By prashant sharma, Updated: 06 Jul, 2020 12:19 PM

private bus operators decided not to run buses because of this

प्रदेश सरकार द्वारा सभी बसों को 100 प्रतिशत सवारियों के साथ चलने की मिली अनुमति के बावजूद भी प्राइवेट बस ऑपरेटर्स ने जब तक देश व प्रदेश में कोरोना महामारी का प्रकोप कम नहीं हो जाता है तब तक बसों को नहीं चलाने का फैसला किया है।

नूरपुर (संजीव महाजन) : प्रदेश सरकार द्वारा सभी बसों को 100 प्रतिशत सवारियों के साथ चलने की मिली अनुमति के बावजूद भी प्राइवेट बस ऑपरेटर्स ने जब तक देश व प्रदेश में कोरोना महामारी का प्रकोप कम नहीं हो जाता है तब तक बसों को नहीं चलाने का फैसला किया है। राजिंद्रा बस सर्विस के मालिक केवल कलौत्रा ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि हमारे स्टेट बस आपरेटर्स महासंघ सरकार को अपनी समस्याओं के बारे में अवगत करवा रही है और सरकार को हम प्राइवेट बस आपरेटर्स के बारे में भी सोचना चाहिए। क्योंकि कोरोना वायरस के चलते मार्च माह से सरकार के निर्देश अनुसार हमारी सभी बसें खड़ी है। जो आज दिन तक खड़ी ही है। हम लोगों ने अपनी जीवन भर की पूंजी तथा बैंक कर्जा लेकर बसें डाली हुई है। लॉकडाउन से पहले हमारा काम ठीक चल रहा था। हर काम समय से किया जा रहा था। जैसे अपना खर्चा, बैंक की किस्तें, चालक, परिचालक का वेतन। मगर इस कोरोना महामारी के बाद यह सब निकालना मुश्किल हो गया है। सरकार ने मार्च से जुलाई तक का टैक्स माफ कर दिया है। इसके लिए हम सरकार का धन्यवाद करते हैं। मगर बैंकों की किस्तें ब्याज के साथ ली जा रही हैं। 

दूसरी तरफ हमारी कई खड़ी बसों की इन्श्योरेन्स खत्म हो चुकी है। जो तीन महीने बिना काम किए अदा करना हमारे लिए बहुत मुश्किल हो गई है। चालक-परिचालकों का वेतन देना मुश्किल हो गया है। हमने अपने चालक-परिचालकों के पालन के लिए मजबूरन मनरेगा में दिहाड़ी लगा गुजारा करने को कहना पड़ा है। हम जानते हैं सरकार भी इस आपात के चलते मुश्किल घड़ी से गुजर रही है। पर हम प्राइवेट बस आपरेटर्स जिन्होंने अपनी जीवन भर की पूंजी इसी काम के लिए लगा रखी है, आज बहुत ही मुश्किल घड़ी में फंस चुके हैं। क्योंकि कोरोना महामारी के चलते एक तरफ लोग घरों से कम निकल रहे हैं, दूसरी तरफ सरकार ने अपना खजाना ठीक करने के चलते डीजल व पैट्रोल की कीमतें बढ़ा दी है।

तीसरा इन्श्योरेन्स की किस्तें , बैंकों के ब्याज के चलते यह सब इकठ्ठा बोझ प्राइवेट बस आपरेटर्स को सहन करना एक बड़ी चुनौती बन रही है। सरकार ने अपनी ट्रांसपोर्ट निगम को कई वित्तीय सहायता कर दी है या कर रही है। हमारी सरकार से अपील है कि हम प्राइवेट बस आपरेटर्स की समास्याओं को ध्यान में रखते हुए हमारे हितों के बारे में जल्द ही कोई ऐसा कदम उठाए जिससे प्राइवेट बस आपरेटर्स इस मुसीबत से उबर पाए। क्योंकि बस आपरेटर्स के काम के साथ ओर कई लोगों का घर भी चलता है। मगर समय रहते हम लोगों के बारे में कोई सही निर्णय नहीं लिया गया तो कहीं मजबूरी में हम जैसे बस आपरेटर्स को कर्जो के नीचे दबते खुदकुशी करने पर मजबूर न होना पड़ जाएं।
 

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