Edited By Jyoti M, Updated: 13 Oct, 2024 06:09 PM
हिमाचल प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत समृद्ध है और इसे संरक्षित किया जाना जरूरी है लेकिन इस विरासत को बचाए रखने के लिए प्रदेश में बढ़ रहे नशे के चलन को रोकना जरूरी है।
कुल्लू (गौरीशंकर): हिमाचल प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत समृद्ध है और इसे संरक्षित किया जाना जरूरी है लेकिन इस विरासत को बचाए रखने के लिए प्रदेश में बढ़ रहे नशे के चलन को रोकना जरूरी है। इसके लिए पंचायत स्तर पर लोगों और युवा-युवतियों को जागरूक करना हाेगा, ये शब्द कुल्लू दशहरा उत्सव का आधिकारिक रूप से आगाज करने के लिए जिला मुख्यालय पहुंचे राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहे।
उन्होंने कहा कि हिमाचल की देव संस्कृति के लिए नशा घातक सिद्ध हो सकता है और इसके लिए पंचायत स्तर पर लोगों को जागरूक होना पडे़गा। उन्होंने कहा कि नशे को रोकने के लिए ऐसे में शिमला के राज भवन में 6 नवम्बर को पंचायती राज विभाग, जन प्रतिनिधियों तथा पंचायतीराज मंत्री के साथ मिलकर इस पर चर्चा की जाएगी, ताकि पंचायत स्तर पर नशे के खिलाफ आवाज उठाई जा सके और इस नशे को हिमाचल में रोका जा सके।
उनका कहना है कि हालांकि पुलिस के स्तर पर नशे की रोकथाम के लिए प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन सिर्फ पुलिस पर निर्भर रहना गलत होगा, क्योंकि आज के दौर में नशा ग्रामीण क्षेत्रों में भी अब अपनी जड़ों को जमा चुका है। आज युवतियां भी नशे का शिकार हो रही हैं। ऐसे में हिमाचल की संस्कृति के लिए नशा आने वाले समय में घातक सिद्ध होगा।
उन्होंने बताया कि इसके लिए पंचायत स्तर पर जागरूकता लानी होगी और ग्रामीण लोगों को भी इसके लिए लोगों को जागरूक करना होगा। ताकि हिमाचल को नशा मुक्त किया जा सके।
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