पार्टी के आदेशों को न मानने वाले दावेदारों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की तैयारी

Edited By Jinesh Kumar, Updated: 05 Jan, 2021 11:20 AM

preparation of disciplinary action against claimants who disobey party orders

पंचायत चुनावों में पार्टी समर्थित उम्मीदवारों के खिलाफ उतरे अपने ही दावेदारों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने को पार्टी नेता तैयारी कर रहे हैं। पार्टी नेताओं ने ऐसे दावेदारों की सूची बनाना भी शुरु कर दिया है, जोकि पार्टी के आदेशों के बावजूद...

धर्मशाला (तनुज सैणी) : पंचायत चुनावों में पार्टी समर्थित उम्मीदवारों के खिलाफ उतरे अपने ही दावेदारों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने को पार्टी नेता तैयारी कर रहे हैं। पार्टी नेताओं ने ऐसे दावेदारों की सूची बनाना भी शुरु कर दिया है, जोकि पार्टी के आदेशों के बावजूद ग्रामीण संसद के चुनावी रण में अपनी ही पार्टी के उम्मीदवार को चुनौती देने के लिए नामांकन भर चुके हैं। पार्टी के नेता ऐसे दावेदारों को फिलहाल नामांकन वापस लेने के लिए मनाने में जुटे हैं। जिससे कि ग्रामीण राजनीति से विधानसभा-2022 की राह को आसान किया जा सके। साथ ही दूसरी पार्टी के सामने एकजुटता को दिखाया जा सके। मिनी संसद के प्रधान-उप प्रधान के दावेदारों को लेकर खुले तौर पर नेता सामने तो नहीं आ रहे हैं लेकिन जिला परिषद व बी.डी.सी. सदस्यों को लेकर क्षेत्रों में अपने-अपने दावेदारों के पक्ष में माहौल बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। पंचायतों में प्रधान व उप-प्रधान पद पर दावा ठोकने वाला कौन सा उम्मीदवार किस पार्टी से समर्थित है और अपने समर्थित उम्मीदवार के खिलाफ चुनावी रण में किसने हुंकार भरी है, इन उम्मीदवारों की पूरी जानकारी नेताओं द्वारा अंदर खाते जुटाई जा रही है।
पूर्व प्रतिनिधि अपने समर्थित दावेदार के पक्ष में मांग रहे वोट
ग्रामीण संसद के चुनावों को लेकर पूर्व में रहे प्रत्याशी अब अपने चहेते उम्मीदवार को वोट डालने के लिए क्षेत्र में माहौल बना रहे हैं। इस बार स्वयं न उतरकर या सीट रिजर्व होने के चलते दूसरे उम्मीदवार को उतारने पर उनके प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं। इसके लिए पूर्व व निवर्तमान प्रतिनिधियों द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान किए गए कार्यों का हवाला देकर मतदाताओं को रिझाने के भरसक प्रयास किए जा रहे हैं।
पर्दे के पीछे रहकर सरकारी कर्मचारी अपने रिश्तेदारों के लिए मांग रहे वोट
ग्रामीण संसद के चुनावी रण में उतरे उम्मीदवारों के सरकारी कर्मचारी भी इस बेला में पर्दे के पीछे रहकर अहम भूमिका निभा रहे हैं। मुख्य विभागों में कार्य कर रहे कर्मचारी भले ही चुनाव में उतारे अपने रिश्तेदार व घर के ही सदस्य के लिए खुलकर वोट नहीं मांग रहे हैं, लेकिन उनके द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों का विभाग में करवाए गए काम को हथियार बनाकर इस चुनावी बेला में खूब इस्तेमाल किया जा रहा है। सरकारी महकमे में अपनी पकड़ व ग्रामीणों के करवाए गए कार्यों को कर्मी अपने उम्मीदवार के पक्ष में वोट लेने के लिए पूरा प्रयोग कर रहे हैं। इस चुनावी रण में सरकारी कर्मचारी भी पर्दे के पीछे रहकर अपने चहेते उम्मीदवारों के लिए एक अहम भूमिका निभा रहे हैं तथा दावेदार भी इस बात का फायदा उठाने की कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

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