Edited By Kuldeep, Updated: 04 Apr, 2022 07:25 PM
कृषि विश्वविद्यालय ने एक दुर्लभ उपलब्धि प्राप्त की, जब वैज्ञानिकों ने सैक्सड सीमन का उपयोग कर कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से बछड़ी को जन्म लेने में सफलता प्राप्त की।
पालमपुर (भृगु): कृषि विश्वविद्यालय ने एक दुर्लभ उपलब्धि प्राप्त की, जब वैज्ञानिकों ने सैक्सड सीमन का उपयोग कर कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से बछड़ी को जन्म लेने में सफलता प्राप्त की। ऐसे में अब प्रदेश के पशुपालक अपनी गाय से मात्र बछड़ी को जन्म देने का विकल्प चुन सकेंगे। यह अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। कृषि में बैलों का उपयोग लगभग समाप्त हो चुका है। कृषि विश्वविद्यालय ने गत वर्ष अप्रैल में पुणे की जीनस ए.बी.एस. इंडिया प्राइवेट लिमिटेड से इसके लिए समझौता पत्र हस्ताक्षरित किया था। ऐसे में राज्य में पहली बार सैक्सड सीमन के उपयोग को लेकर पहली बार संगठित अध्ययन किया गया है। यह कार्य 2 चरणों में किया जा रहा है तथा आने वाले 6 महीने तक यह कार्य आरंभ रहेगा। प्रथम चरण में ऐसे किसान जो जर्सी तथा साहिवाल प्रजाति की गायों को पाल रहे हैं वे लाभान्वित हुए हैं। वर्तमान में 74 जर्सी तथा साहिवाल प्रजाति की गाय गर्भावस्था के उन्नत चरण में है। इन सभी का सैक्सड सीमन के आधार पर कृत्रिम गर्भाधान किया गया है।
कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एच.के. चौधरी ने कहा कि यह अपने आप में बड़ी उपलब्धि है। प्रदेश के पशुपालकों को अपनी गायों से केवल मादा बछड़े रखने का विकल्प मिलेगा। नई शोध परियोजना ने हिमाचल प्रदेश में पाले जा रहे विदेशी, साथ ही देशी नस्ल के मवेशियों के उन्नयन में अपना अत्यधिक मूल्य साबित किया है। उन्होंने प्रधान अन्वेषक डा. अक्षय शर्मा, परियोजना के सह-प्रमुख अन्वेषक डा. प्रवेश कुमार और प्रसार शिक्षा निदेशक डा. मधुमीत प्रमुख विभाग की सराहना की।
अंबिका रखा गया नाम
सैक्सड सीमन का उपयोग कर कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से जन्मी प्रथम मादा बछड़ी का नाम अंबिका रखा गया है तथा सोमवार को मादा बछड़ी अंबिका का विधिवत पूजा अर्चना तथा हार पहनाकर अभिनंदन किया गया