Edited By Ekta, Updated: 02 Sep, 2018 01:06 PM
सरकार से नीति बनाए जाने की आस में बैठे प्रदेश के हजारों आऊटसोर्स कर्मचारी सी.एम. के बयान के बाद हताश हैं। आऊटसोर्स कर्मचारी महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष युनश अख्तर ने कहा कि सी.एम. द्वारा विधानसभा में आऊटसोर्स कर्मचारियों के संबंध में जो बयान दिया है...
मंडी (सकलानी): सरकार से नीति बनाए जाने की आस में बैठे प्रदेश के हजारों आऊटसोर्स कर्मचारी सी.एम. के बयान के बाद हताश हैं। आऊटसोर्स कर्मचारी महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष युनश अख्तर ने कहा कि सी.एम. द्वारा विधानसभा में आऊटसोर्स कर्मचारियों के संबंध में जो बयान दिया है उससे हजारों आऊटसोर्स कर्मचारी हताश हो गए हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा ने चुनाव के दौरान अपने घोषणा पत्र में आऊटसोर्स कर्मचारियों के लिए कल्याण बोर्ड का गठन कर नीति बनाए जाने की बात कही थी लेकिन अब सी.एम. द्वारा आऊटसोर्स कर्मचारियों के लिए कोई नीति न बनाए जाने की बात कहकर आऊटसोर्स कर्मचारियों में अपने भविष्य को लेकर चिंता सताने लगी है।
उन्होंने कहा कि बहुत से आऊटसोर्स कर्मचारी ऐसे हैं जो बीते करीब 10 से 15 वर्ष से विभिन्न विभागों, बोर्डों व निगमों में सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों ने भी राजस्व व परिवहन विभाग में ई-गवर्नेंस व सोसायटी कर्मचारियों को तथा स्वास्थ्य विभाग में आऊटसोर्स पर रखे कर्मचारियों को रोगी कल्याण समिति में मर्ज किया गया तो प्रदेश सरकार को चाहिए कि आऊटसोर्स कर्मचारियों को सरकार के विभिन्न विभागों की समितियों, परिषदों मेंं मर्ज करें ताकि उन्हें वेतन पूरा व सीधे रूप मे मिल सके व ठेकेदार का रोल पूरी तरह से समाप्त हो सके। उन्होंने कहा कि आऊटसोर्स के माध्यम से कर्मियों का शोषण हो रहा है और ठेकेदार कमीशन से अपनी जेबें भर रहे हैं।