एक जिंदा लाइसैंसी किराएदार को मृत घोषित करने वाला DM बहाल, ऐसे हुआ था पर्दाफाश

Edited By Ekta, Updated: 03 Jan, 2019 12:06 PM

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ऊना में एक जिंदा लाइसैंसी किराएदार को मृत घोषित करने वाले डी.एम. दलजीत सिंह की सेवाएं सरकार ने बहाल कर दी हैं। इससे पहले सरकार ने जांच के तहत उन्हें सस्पैंड कर दिया था। इन पर आरोप थे कि इन्होंने हमीरपुर के डी.एम. रहते निगम के ऊना स्थित एक जिंदा...

 

शिमला (राजेश): ऊना में एक जिंदा लाइसैंसी किराएदार को मृत घोषित करने वाले डी.एम. दलजीत सिंह की सेवाएं सरकार ने बहाल कर दी हैं। इससे पहले सरकार ने जांच के तहत उन्हें सस्पैंड कर दिया था। इन पर आरोप थे कि इन्होंने हमीरपुर के डी.एम. रहते निगम के ऊना स्थित एक जिंदा लाइसैंसी किराएदार को मृत घोषित कर दिया था। उससे 61 लाख रुपए किराए की रिकवरी होनी थी, लेकिन अब उन्हें सरकार ने फिर बहाल किया है। इस संबंध में 22 दिसम्बर को ऑफिस ऑडर भी जारी किए जा चुके हैं। जानकारी के अनुसार फिलहाल सस्पैंड किए डी.एम. को बहाली दी है उन्हें किस भी पद पर तैनात किया नहीं गया है, लेकिन जल्द ही उन्हें तैनाती देने की सरकार तैयारी कर रही है। 

सरकार द्वारा भ्रष्टाचार में संलिप्त कर्मचारी को फिर से बहाल करने पर हिमाचल परिवहन मजदूर संघ ने कड़ा विरोध किया है। परिवहन मजदूर संघ के अध्यक्ष शंकर सिंह ने एफ .आई.आर. किए बगैर ही बहाली करने का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने कहा कि जब छोटे रुतबे के छोटे कर्मचारियों पर छोटे-छोटे मामलों में एफ.आई.आर. दर्ज की गई है तो लाखों रुपए के संगीन घोटाले के आरोपी पर प्रबंधन ने जरूरत से ज्यादा दरियादिली कैसे दिखाई। पूर्व सरकार के कार्यकाल में 23 मई, 2017 को निगम प्रबंधन की नाक के नीचे घटे इस घोटाले को परिवहन मजदूर संघ ने प्रमुखता से उठाया था। 

जानकारी के अनुसार हिमाचल पथ परिवहन निगम में किराए पर चलाई जा रही दुकान की वसूली को राइट ऑफ करने संबंधित घोटाले के मामले में सरकार ने डी.एम. दलजीत सिंह को सस्पैंड कर दिया था। एच.आर.टी.सी. डिपो हमीरपुर के तहत ऊना बस स्टैंड में अशोक कुमार द्वारा किराए पर चलाई जा रही दुकान की राशि जो करीब 60 लाख बनती थी इस राशि को डी.एम. ने विभाग को गुमराह करते हुए उस व्यक्ति को मृत घोषित कर दिया और वह राशि जमा नहीं करवाई और किराए संबंधी मामले राइट ऑफ कर दिया, लेकिन जब इस मामले की जांच शुरू हुई तो वह व्यक्ति जीवित पाया गया था।

यह आया था जांच में

जांच के अनुसार ऊना बस स्टैंड पर 2 दुकानें व एक कैंटीन 1998 में अशोक कुमार नामक व्यक्ति को किराए पर दी गई थी, लेकिन कई वर्षों तक व्यक्ति ने दुकान का किराया नहीं चुकाया जो 60 लाख के करीब था। इस संबंध में कई बार बस अड्डा प्राधिकरण शिमला एच.आर.टी.सी. मुख्यालय से भी लिखित में किराए की वसूली के लिए पत्र लिख गए, लेकिन डी.एम. ने वसूली की जगह व्यक्ति की मौत की झूठी सूचना मुख्यालय को भेज दी और मुख्यालय को वापस भेजी चिट्ठी में लिखा कि दुकान चला रहे व्यक्ति के पास किसी प्रकार की चल व अचल संपत्ति नहींं जिससे कि किराया वसूला जा सकता है। इसलिए इस मामले को राइट ऑफ किया जाए।

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