Edited By kirti, Updated: 13 Oct, 2018 09:37 AM
जिस सरकार ने बेटी बचाओ अभियान का प्रमुखता से नारा दिया, उसी सरकार में एक बेटी ने महज इसलिए दम तोड़ दिया क्योंकि उसकी जननी को समय पर एम्बुलैंस सुविधा मुहैया नहीं हो पाई, जिस वजह से बेटी ने दुनिया में आने से पहले ही अपनी मां के पेट में ही हमेशा के लिए...
तीसा : जिस सरकार ने बेटी बचाओ अभियान का प्रमुखता से नारा दिया, उसी सरकार में एक बेटी ने महज इसलिए दम तोड़ दिया क्योंकि उसकी जननी को समय पर एम्बुलैंस सुविधा मुहैया नहीं हो पाई, जिस वजह से बेटी ने दुनिया में आने से पहले ही अपनी मां के पेट में ही हमेशा के लिए आंखें मूंद लीं। यह दुखद घटना चुराह घाटी की ग्राम पंचायत पधर के गांव कंधवास में रहने वाली गुड्डी देवी पत्नी पवन कुमार के साथ उस समय घटी जब उसे प्रसव के लिए वीरवार रात को उपचार के लिए मैडीकल कालेज अस्पताल चम्बा लाया गया लेकिन वहां तैनात चिकित्सक ने उक्त बच्ची के मृत होने की बात कही। पवन कुमार ने बताया कि उसकी पत्नी को प्रसव के लिए वीरवार को सिविल अस्पताल तीसा लाया गया, जहां से उसे रात करीब 9 बजे मैडीकल कालेज अस्पताल चम्बा के लिए रैफर कर दिया गया।
इस स्थिति में उन्होंने 108 व 102 एम्बुलैंस सुविधा पाने के लिए संपर्क किया लेकिन एक घंटे तक उन्हें यह सुविधा नहीं मिली, ऐसे में जहां प्रसव की पीड़ा से महिला एक घंटे तक कराहती रही, वहीं रात करीब 10 बजे के बाद महिला को चम्बा पहुंचाने की व्यवस्था हो पाई। मैडीकल कालेज अस्पताल में जब उक्त महिला का प्रसव करवाया गया तो मरी हुई बच्ची पैदा हुई। प्रभावित परिवार का कहना है कि अगर उन्हें समय पर सरकारी एम्बुलैंस सुविधा मिल जाती तो शायद जन्म लेने से पहले ही बेटी कोख में दम नहीं तोड़ देती। पवन का कहना है कि जब वह कंपनी से एम्बुलैंस सुविधा पाने की गुहार लगा रहे थे तो उस समय तीसा अस्पताल परिसर में 2 एम्बुलैंस खड़ी थीं। बावजूद इसके उन्हें कंपनी ने क्यों यह एम्बुलैंस सुविधा मुहैया नहीं करवाई। इस बात की सरकार को जांच करनी चाहिए।