अभी तो गिरी है सिर्फ 1 विकेट, भविष्य में और भी कई गिरेंगी आगे-आगे देखिए होता है क्या? : राणा

Edited By prashant sharma, Updated: 28 May, 2020 04:28 PM

now only 1 wicket has fallen many more will fall in future  rana

आखिर मेरा शक और संदेह सही निकला, मैंने 26 मई को ही घोषणा कर दी थी कि 27 मई के बाद बीजेपी के ग्रह गोचर भारी साबित हों या न हों लेकिन यह तय है कि 27 मई के बाद बीजेपी सरकार पर अपनों का विरोध व विद्रोह भारी साबित होगा और हुआ भी वही।

हमीरपुर : आखिर मेरा शक और संदेह सही निकला, मैंने 26 मई को ही घोषणा कर दी थी कि 27 मई के बाद बीजेपी के ग्रह गोचर भारी साबित हों या न हों लेकिन यह तय है कि 27 मई के बाद बीजेपी सरकार पर अपनों का विरोध व विद्रोह भारी साबित होगा और हुआ भी वही। यह बात राज्य कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कही है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 की खरीद के भ्रष्टाचारों के आरोपों को लेकर बेशक बीजेपी मुखिया राजीव बिंदल ने त्याग पत्र दे दिया है, उनका त्याग पत्र मंजूर भी हो चुका है और अब बीजेपी विधायकों की बातचीत पर भरोसा किया जाए तो सरकार अब अपनों के ही साजिश, षड्यंत्रों से घिर चुकी है। 

उन्होंने कहा कि बीजेपी में लगातार असंतुष्टों व रुष्टों की तादाद में इजाफा होता जा रहा है, जिस कारण से अब सरकार को अब कोई जवाब देते नहीं बन रहा है। मैं, लगातार कहता आ रहा हुं कि प्रचंड बहुमत से जीती बीजेपी सरकार को अस्थिर करना कांग्रेस की कतई मंशा नहीं है, लेकिन अब सरकार अपनों द्वारा पैदा किए गए संकट की दलदल में धंसती जा रही है। मामला कोविड-19 में भ्रष्टाचार का हो या फिर आयुर्वेदिक दवा खरीद घोटाला हो। सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी है। लग रहा है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर इस भ्रष्टाचार को लेकर लाचार व बेबस से हैं, शायद इसीलिए चुप्प हैं। 

उन्होंने कहा कि बीजेपी विधायकों में चल रही सुगबुगाहट पर भरोसा करें तो सरकार को 2-4 अफसर अपनी मनमर्जी से हांक रहे हैं। कोरोना वायरस जहां आम जनता के लिए आपदा है, वहीं बीजेपी के कुछ भ्रष्टाचारी अफसरों व नेताओं के लिए यह चांदी कूटने का मौका साबित हुआ है। भ्रष्ट अधिकारी व सप्लायर, भ्रष्ट तंत्र की छत्र छाया में लगातार भ्रष्टाचार की फसल काट रहे हैं। भ्रष्ट तंत्र व नेताओं का गठबंधन संकट की इस घड़ी में तिजोरियां भरने में व्यस्त हैं और सरकार भ्रष्टाचारियों व केंद्र के दबाव में अस्त-व्यस्त है। लग रहा है कि सरकार संकट की इस घड़ी में सही फैसला लेने की क्षमता खो चुकी है। आने वाले वक्त में अब यह सरकार अपनों के दबाव के भार से ही संकट ग्रस्त हो जाए तो कोई हैरत नहीं होगी।

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