अब प्रदेश के 1200 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल किया बाहर : राणा

Edited By prashant sharma, Updated: 15 Jul, 2020 05:29 PM

now 1200 employees of the state have been sacked rana

राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कहा है कि कोरोना के बीच महंगाई से जूझ रही 108 व 102 एंबुलेंस के कर्मचारियों को नौकरी से निकाल कर इस वर्ग की मुश्किलें बढ़ा दी गई हैं।

हमीरपुर : राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कहा है कि कोरोना के बीच महंगाई से जूझ रही 108 व 102 एंबुलेंस के कर्मचारियों को नौकरी से निकाल कर इस वर्ग की मुश्किलें बढ़ा दी गई हैं। जिनमें पायलट, एमरेजेंसी मेडिकल टेक्निशियन व अन्य करीब 1200 कर्मचारियों को घर का रास्ता दिखाया गया है। हैरानी यह है कि कोविड-19 के दौर में जब आम आदमी सरकार से राहत की उम्मीद लगाए बैठा है, तो कंपनी से करार करने वाली सरकार इस मामले की गंभीरता को समझते हुए भी अनजान बनी हुई है। सरकार अपनी जिम्मेदारी व जवाबदेही से बचती हुई इन कर्मचारियों की आफत पर मूक और मौन बनी हुई है। एक ओर सरकार जहां प्रदेश में राहत पर राहत देने के नगाड़े पीट रही है, वहीं दूसरी ओर इन कर्मचारियों के मामले पर तमाशबीन बनी हुई है। कंपनी के इस कठोर कदम से इन कर्मचारियों के परिवारों को भरण-पोषण के लाले पड़ चुके हैं। जिस कारण से सरकार के उपेक्षापूर्ण रवैये को देखते हुए सरकार के प्रति जनता में रोष बढ़ रहा है। 

उन्होंने कहा कि आखिर कब तक सरकार प्रदेश के नागरिकों के हितों की ओर से आंखें मुंदे रहेगी, कहना मुश्किल है। झूठ व उपेक्षा की राजनीति प्रदेश के हितों के लिए घातक साबित हो रही है, लेकिन राहतों के नाम पर सरकार की घोर उपेक्षा के शिकार नागरिक हाल-बेहाल हो रहे हैं। जिस जीवी कंपनी ने इन कर्मचारियों को नौकरी से निकाला है उस कंपनी का करार सरकार के साथ 2021 तक हुआ है। इस मामले में उच्च न्यायालय ने भी कंपनी को जनवरी 2020 में आदेश दिए हैं कि तमाम कर्मचारियों को 20 जनवरी के बाद 15 हजार रुपए मासिक वेतन का भुगतान किया जाए, लेकिन कंपनी उसके बाद कर्मचारियों के हितों को रौंदते हुए सुप्रीम कोर्ट गई है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने भी कंपनी की याचिका खारिज हुई है और अब कंपनी गरीब कर्मचारियों के पेट पर लात मारकर टेंडर की शर्तों का दरकिनार करके कर्मचारियों के हितों से कुठाराघात करने में लगी हुई है। जिससे इन कर्मचारियों के परिवारों में सरकार के प्रति आक्रोश बढ़ रहा है लेकिन सरकार बेरोजगार हुए कर्मचारियों के मामले पर चुप्पी साधे हुए है। कंपनी ने अपना तानाशाह रुख दिखाते हुए 25 जून को कर्मचारियों को नोटिस जारी कर दिए हैं। जिनमें साफ कहा गया है कि 30 जून तक ही आपकी सेवाएं जारी रहेंगी। 

उन्होंने कहा कि कर्मचारियों के आक्रोश के दबाव में 30 जून को जीवी कंपनी ने फिर एक अन्य नोटिस में कर्मचारियों को कहा है कि अब आपकी सेवाएं 15 जुलाई तक जारी रहेंगी, लेकिन फिर 14 जुलाई को एक और नोटिस के जरिए 15 दिन की और मोहल्लत देते हुए 30 जुलाई तक सेवाएं जारी रखने का फरमान सुनाया है। हालांकि कंपनी का करार सरकार के साथ 2021 तक है। जिसके चलते उच्च न्यायालय ने कंपनी को आदेश दिए हैं कि 20 जनवरी के बाद कंपनी कर्मचारियों को 15 हजार रुपए मासिक से भुगतान करे। राणा ने कहा कि अब कर्मचारियों के हितों से खिलवाड़ करने वाली जीवी कंपनी को न तो उच्च न्यायालय के आदेशों का खौफ है और न ही सरकार के साथ किए हुए करार का कोई डर है। उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मांग करते हुए कहा कि वह इन प्रताड़ित कर्मचारियों की पैरवी करते हुए इस मामले में व्यक्तिगत दखल दें। क्योंकि आखिर यह मामला 1200 परिवारों के भविष्य से जुड़ा है। जिन्हें कोरोना काला में वर्षों सेवाएं देने के बाद अब अचानक दर बदर भटकने के लिए छोड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में कंपनी का यह तानाशाह रवैया किसी भी सूरत में न न्याय संगत ठहरया जा सकता है न ही तर्कसंगत माना जा सकता है।
 

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