Edited By Vijay, Updated: 18 Aug, 2019 04:46 PM
आजादी के 73 सालों बाद भी जिला चम्बा के कई गांव सड़क जैसी मूलभूत सुविधा को तरस रहे हैं। जिला के उपमंडल सलूणी के संवेदनशील क्षेत्र भांदल व सनूह पंचायतों के त्रिडग, पुढन, द्रभेरन, सुआ, थणोती व रंजनी गांव में भाग्य रेखाएं रूठी हुई हैं....
सलूणी (शक्ति प्रसाद): आजादी के 73 सालों बाद भी जिला चम्बा के कई गांव सड़क जैसी मूलभूत सुविधा को तरस रहे हैं। जिला के उपमंडल सलूणी के संवेदनशील क्षेत्र भांदल व सनूह पंचायतों के त्रिडग, पुढन, द्रभेरन, सुआ, थणोती व रंजनी गांव में भाग्य रेखाएं रूठी हुई हैं, जिस वजह से यहां लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इन गांवों में मरीजों व महिलाओं को प्रसव के दौरान पालकी ही एकमात्र सहारा है।
बता दें कि अगर गांव में किसी के बीमार होने या महिला को प्रसव के दौरान पालकी के माध्यम से ही 4 से 5 किलोमीटर तक लेकर जाना पड़ता है। कई बार तो मरीज अस्पताल ले जाते समय रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं।
उक्त गांवों के बाशिंदों का कहना है कि नेता चुनावों के दौरान आश्वासन देते हैं लेकिन चुनावों के बाद अपनी सूरत तक नहीं दिखाते। गांव के लोगों को केवल वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।