Edited By Vijay, Updated: 28 May, 2019 06:01 PM
प्रदेश में जैविक व प्राकृतिक खेती के उद्देश्य से जैविक कृषि सोसायटी, जैविक कृषि और प्राकृतिक कृषि विभाग, कृषि वि.वि. के कृषि महाविद्यालय तथा राज्य परियोजना कार्यन्वयन इकाई द्वारा प्राकृतिक खेती पर 2 दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन कृषि विश्वविद्यालय...
पालमपुर (संजीव राणा): प्रदेश में जैविक व प्राकृतिक खेती के उद्देश्य से जैविक कृषि सोसायटी, जैविक कृषि और प्राकृतिक कृषि विभाग, कृषि वि.वि. के कृषि महाविद्यालय तथा राज्य परियोजना कार्यन्वयन इकाई द्वारा प्राकृतिक खेती पर 2 दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में शुरू हुआ। सम्मेलन का उद्घाटन कृषि मंत्री रामलाल मारकंडा ने किया। प्राकृतिक खेती के आदान-प्रदान को प्रदर्शित करने के लिए प्रदर्शनी स्टाल लगाए गए। इसमें प्रदेश के सभी जिलों के किसानों के प्राकृतिक खेती के उत्पाद जैसे कि सब्जियां, अनाज, मोटे अनाज व चाय आदि प्रदर्शित किए गए हैं।
20 किसान तथा 32 अधिकारी ले रहे भाग
2 दिन तक चलने वाले राष्ट्रीय सम्मेलन में 20 किसान तथा 32 अधिकारी भाग ले रहे हैं। प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत लंबे समय से जीरो बजट प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित कर रहे हैं। उनके ही प्रयासों से इस विधि के जानकार सुभाष पालेकर प्रदेश में अनेक स्थानों पर किसानों व वैज्ञानिकों को जीरो बजट प्राकृतिक खेती के तरीकों और फायदों की जानकारी दे चुके हैं। बीते वर्षों के दौरान भी प्रदेश कृषि वि.वि. में इस तरह के सम्मेलनों का आयोजन कर किसानों को प्रोत्साहित किया गया और काफी संख्या में किसान अब इस विधि को अपना रहे हैं। कृषि मंत्री ने प्राकृतिक खेती उत्पाद प्रदर्शनी का अवलोकन किया।
50 प्रतिशत की सबसिडी प्रदान कर रही सरकार
उन्होंने बताया कि सरकार विलुप्त होने की कगार पर औषधीय पौधों के संरक्षण और प्रसार के लिए 50 प्रतिशत की सबसिडी प्रदान कर रही है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश को 2022 तक जैविक राज्य घोषित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश के दोनों कृषि विश्वविद्यालय और कृषि विभाग जैविक और प्राकृतिक खेती पर उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2022 तक 9,61,000 परिवारों को जैविक और प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित करन का लक्ष्य रखा गया है।
500 की बजाय 3500 किसानों को किया प्रेरित
उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि इस वर्ष प्राकृतिक खेती के लिए 500 किसानों को प्रेरित करने का लक्ष्य था लेकिन 3500 किसानों को इस खेती के लिए प्रेरित किया गया है। मंत्री ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण हरेक की सामूहिक जिम्मेदारी थी और युवा पीढ़ी को इसके बारे में बताना चाहिए। इस मौके पर प्रो. अशोक सरयाल कुलपति कृषि वि.वि. पालमपुर, डॉ. हरि चंद शर्मा, कुलपति डॉ. वाई.एस. परमार बागवानी और वानिकी विश्वविद्यालय सोलन भी उपस्थित रहे।