मोदी सरकार ने भारतीय आयुर्वेद पद्धति को बढ़ावा देने के कई कदम उठाए : गुलेरिया

Edited By prashant sharma, Updated: 23 Nov, 2020 01:28 PM

modi government has taken several steps to promote indian ayurveda

मोदी सरकार ने भारतीय आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। मोदी सरकार ने आयुर्वेद स्नातकों को भी सभी प्रकार की जैसे मुंह, नाक, गला, आंख, पेट और अन्य रोगों में शल्य चिकित्सा और अन्य प्रशिक्षण देने के लिए पाठ्यक्रम तैयार करने...

नूरपुर (संजीव महाजन) : मोदी सरकार ने भारतीय आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। मोदी सरकार ने आयुर्वेद स्नातकों को भी सभी प्रकार की जैसे मुंह, नाक, गला, आंख, पेट और अन्य रोगों में शल्य चिकित्सा और अन्य प्रशिक्षण देने के लिए पाठ्यक्रम तैयार करने के दिशा निर्देश दिए हैं। यह आज यहां प्रेस वार्ता में डॉक्टर संजीव गुलेरीया जो कि खुद हिमाचल प्रदेश आयुर्वेद विभाग में से रिटायर्ड आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी और जिला कांगड़ा आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी महासंघ के जिलाध्यक्ष भी रहे हैं, ने बताया कि मोदी सरकार आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारीयों को शल्य चिकित्सा (सर्जरी) का व अन्य अधिकार देने के बारे में पहल कर रही है, लेकिन एलोपैथी चिकित्सक मोदी सरकार के इस फैसले पर विरोध कर रहे हैं जो कि देश में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए हितकर नहीं होगा क्योंकि देश में स्वास्थ्य सेवाएं पहले ही चरमराई हुई हैं। 

डॉक्टर गुलेरीया ने कहा कि सरकार को तुरंत आयुर्वेद स्नातकों को कैंसर, शिरो रोग (दिमाग), ह््रदय रोग शल्य क्रिया का भी प्रशिक्षण देने का प्रावधान करना होगा। भारत में शल्य चिकित्सा (सर्जरी) का इतिहास पांच हजार वर्ष पूर्व का है और आचार्य सुश्रुत ने संहिताओं में एक सौ बत्तीस (132) शल्य उपकरणों का वर्णन है और इनमें कईयों का आज भी आयुर्वेद संस्थान में उपयोग किया जाता है। सौ साल पहले एलोपैथी चिकित्सक यह भी नहीं जानते थे कि मरीज को बेहोश कैसे किया जाता है। जबकि भारत में इस प्रक्रिया की सदियों से चलन में थीं। भारत में आयुर्वेद का उत्थान न होने का मुख्यतः कारण विदेशी आक्रमणकारियों और आजादी के बाद कांग्रेस शासन काल, हमारे नेताओं ने पश्चिमी देशों का अंधानुकरण और गुलाम मानसिकता आयुर्वेद के पतन (हृस) का मुख्य कारण बना है। सरकार से अनुरोध है कि आयुर्वेदिक चिकित्सक का भी वेतन एलोपैथी चिकित्सक के समान किया जाना चाहिए।
 

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