रोगियों के साथ प्रदेश के मेडिकल कालेजों को भी टांडा के चिकित्सकों का सहारा

Edited By prashant sharma, Updated: 14 May, 2021 11:38 AM

medical colleges of state also have support of doctors of tanda

हिमाचल के छह जिलों को स्वास्थ्य सेवाएं देने वाले राज्य के दूसरे बड़े मेडिकल काॅलेज टांडा में चिकित्सकों को दूसरे अस्पतालों में भेजने की प्रक्रिया वैश्विक महामारी कोविड-19 के बीच भी थमने का नाम नहीं ले रही है। टी.एम.सी. में उपचार के लिए रोगियों को ही...

कांगड़ा (कालड़ा/किशोर) : हिमाचल के छह जिलों को स्वास्थ्य सेवाएं देने वाले राज्य के दूसरे बड़े मेडिकल काॅलेज टांडा में चिकित्सकों को दूसरे अस्पतालों में भेजने की प्रक्रिया वैश्विक महामारी कोविड-19 के बीच भी थमने का नाम नहीं ले रही है। टी.एम.सी. में उपचार के लिए रोगियों को ही इससे आस नहीं है, बल्कि प्रदेश के अन्य मेडिकल कालेजों के संचालन का भी दारोमदार इसी अस्पताल के विशेषज्ञों पर है। यही कारण है कि एम.सी.आई. टीम के प्रदेश के विभिन्न मेडिकल काॅलेजों के दौरे पर पहुंचने से पहले ही यहां से चिकित्सकों को सरकार वहां पर तैनात कर देती है। जिससे कि टी.एम.सी. में चल रही स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्थाओं पर भी इसका असर पड़ता है। वर्तमान में ही टांडा में मेकशिफ्ट अस्पताल व सुपर स्पेशलिएटी ब्लॉक के भवन में कांगड़ा ही नहीं अपितु चंबा, हमीरपुर, ऊना, मंडी के मरीजों को उपचार के लिए लाया जा रहा है।

अस्पताल में कोविड मरीजों की देखभाल के लिए चिकित्सकों की डयूटियां लगाई गई तो चर्म रोग, दंत चिकित्सा व नेत्र चिकित्सा विभाग की ओ.पी.डी. तक को बंद करना पड़ा और यहां के चिकित्सकों को आपातकालीन वार्ड तथा कोविड में डयूटियां लगाई गई। चिकित्सकों की ऐसी कमी के बावजूद भी लगभग 6 जिलों के मरीजों को उपचार देने वाले इस अस्पताल से चिकित्सकों को दूसरे मेडिकल काॅलेजों के अलावा एम्स में भेजा गया। इस कार्यप्रणाली को लेकर अब सरकार की व्यवस्थाओं पर भी प्रश्नचिन्ह लगना आरंभ हो गया है। चंबा, हमीरपुर व मंडी में मेडिकल काॅलेज के बावजूद आ रहे रोगी
प्रदेश के चंबा, हमीरपुर व मंडी जिला में भी मेडिकल काॅलेज हैं। इन जिलों को मेडिकल काॅलेजों की सौगात तो दे गई, लेकिन व्यवस्थाएं पूरी न होने पर मरीजों को टांडा रैफर कर दिया जाता है। कोरोना की चपेट में आने के बाद गंभीर हालात में पहुंचने वाले रोगियों के उपचार के लिए टांडा के चिकित्सक दिन-रात जुटे हुए हंै। वहीं, चिकित्सकों के यहां से अन्य अस्पतालों में भेजे जाने से चिकित्सकों पर भी डयूटियां का अतिरिक्त कार्यभार पड़ रहा है, जिससे कि उनके तनाव में आने की संभावना भी बढ़ रही है।

बिलासपुर में एम्स शुरू हुआ तो टांडा से गए चिकित्सक

बिलासपुर मेंएम्स को शुरू किया गया तो टांडा से चिकित्सकों को भेजा गया। फिजियोलॉजी, नैफ्रोलॉजी, न्यूरोलॉजी, एंडोक्रॉनॉलॉजी, बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी, रेडियोलॉजी, पैडियाट्रिक्स डिपार्टमेंट के प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर को भेजा गया। हालांकि इस बारे मे टी.एम.सी. प्रबंधन के अधिकारी खुल कर बात करने से कतरा रहे हैं। वहीं जानकारी के अनुसार टी.एम.सी. में प्लास्टिक सर्जरी को 1-2 वर्ष पहले ही शुरू किया गया लेकिन चिकित्सकों के बदले जाने से यह डिपार्टमेंट बंद पड़ा हुआ है। जबकि हाल ही में 5 अन्य चिकित्सकों को यहां से दूसरे मेडिकल कालेजों में भेजा गया है।

कोरोना काल में चिकित्सकों को भेजना तर्कसंगत नहीं

नाम न छापने की शर्त पर भूतपूर्व चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि कोरोना काल में आम रोगियों से लेकर कोविड-19 पॉजिटिव मरीजों को राहत देने वाले टांडा अस्पताल से चिकित्सकों को दूसरे अस्पतालों में भेजना तर्क संगत नहीं है। उन्होंने कहा कि टी.एम.सी. में कांगड़ा ही नहीं बल्कि आसपास के लगभग 5 जिलों से मरीज बेहतर उपचार की आस लेकर आते हैं। वर्तमान में चुनौती है कि सामान्य मरीजों के साथ-साथ कोरोना पॉजिटिव मरीजों को उपचार मिले, जिसके लिए सरकार को भी व्यवस्था करनी चाहिए। जब दूसरे मेडिकल कालेजों में पूरी व्यवस्थाएं ही नहीं है और टांडा में व्यवस्थाएं होने के बाद विशेषज्ञों को दूसरे अस्पतालों में भेज देना उचित प्रबंधन नहीं हो सकता है। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए कि टांडा में मरीजों के आंकड़ों को देखते हुए विशेषज्ञ चिकित्सकों का  उचित प्रबंध करे और जहां तक अन्य अस्पतालों में चिकित्सकों को भेजने की बात है तो कोरोना काल के बाद भी ऐसी व्यवस्था की जा सकती है।
 

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