शहादत का ये कैसा ईनाम, नौकरी को भटक रही शहीद संजीवन राणा की बड़ी बेटी

Edited By Vijay, Updated: 02 Jan, 2020 11:08 PM

martyr sanjeevan rana s elder daughter wander for job

पठानकोट एयरबेस में 2 जनवरी 2016 की सुबह आतंकी हमले में शहीद हुए शाहपुर उपमंडल के गांव सियूंह के हवलदार संजीवन राणा (51) के नाम पर राजनेताओं द्वारा की गई घोषणाएं 4 साल बाद भी धरातल पर नहीं उतरी हैं। तत्कालीन सरकार द्वारा शहीद के परिवार के एक सदस्य को...

धर्मशाला (ब्यूरो): पठानकोट एयरबेस में 2 जनवरी 2016 की सुबह आतंकी हमले में शहीद हुए शाहपुर उपमंडल के गांव सियूंह के हवलदार संजीवन राणा (51) के नाम पर राजनेताओं द्वारा की गई घोषणाएं 4 साल बाद भी धरातल पर नहीं उतरी हैं। तत्कालीन सरकार द्वारा शहीद के परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की घोषणा आज भी अधूरी है। अपने शहीद पिता का सपना पूरा करने के लिए बेटा शुभम अपने बलबूते सेना में भर्ती हो गया लेकिन शहीद के परिवार को मलाल है कि प्रशासन के दर तक कई बार गुहार लगाने और 2 साल पहले खुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को दुखड़ा सुनाने के बाद भी आज तक एक भी घोषणा को सिरे नहीं चढ़ाया गया है।

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शहीद के परिवार को आश्वासन दिया था कि शहीद के नाम पर सभी घोषणाएं पूरी होंगी, लेकिन शायद अफसरशाही ने आज तक सीएम के आदेशों को भी गंभीरता से नहीं लिया है। इसके चलते शाहपुर के छतड़ी कॉलेज का नामकरण आज तक शहीद के नाम पर नहीं हो सका है। न ही शहीद की याद में उनके गांव में पार्क बनाकर उसमें उनकी प्रतिमा लगाने की घोषणा सिरे चढ़ी है।

तत्कालीन सांसद शांता कुमार ने उस समय शहीद के नाम पर ट्यूबवैल और हैंडपंप लगाने के लिए राशि स्वीकृत की थी लेकिन जमीन के अभाव में पूर्व सांसद की घोषणा भी मूर्तरूप नहीं ले सकी है। शहीद संजीवन राणा की छोटी बेटी कोमल ने कहा कि उनके पिता की शहादत के समय राजनेताओं ने लंबी-चौड़ी घोषणाएं की थीं, जो 4 साल बाद भी अधूरी हैं। उनकी बड़ी बहन आज तक नौकरी के लिए जद्दोजहद कर रही है।

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