कारगिल युद्ध में शहीद के परिवार से किया वायदा भूली सरकारें, पिता ने स्वतंत्रता दिवस पर दिलाई याद

Edited By Vijay, Updated: 16 Aug, 2019 06:22 PM

martyr s father

देश की रक्षा के लिए कारगिल युद्ध में शहीद हुए सैनिक के परिवार के साथ किया हुआ वायदा आज तक पूरा नहीं हो पाया है। प्रदेश में अब तक रहीं भाजपा व कांग्रेस सरकारें शहीद के पिता के साथ किया हुआ वायदा पूरा नहीं कर सकीं हैं। यही कारण रहा कि शहीद के पिता को...

सोलन (अमित डोभाल): देश की रक्षा के लिए कारगिल युद्ध में शहीद हुए सैनिक के परिवार के साथ किया हुआ वायदा आज तक पूरा नहीं हो पाया है। प्रदेश में अब तक रहीं भाजपा व कांग्रेस सरकारें शहीद के पिता के साथ किया हुआ वायदा पूरा नहीं कर सकीं हैं। यही कारण रहा कि शहीद के पिता को स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में अपनी शिकायत लेकर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल के समक्ष प्रस्तुत होना पड़ा और उन्हें उनके साथ किया हुआ वायदा याद दिलाया और अपने क्षेत्र में चिकित्सालय खोलने की मांग को दोहराया। पूरे मामले में अहम बात यह है कि शहीद के पिता व्यक्तिगत तौर पर अपने लिए कुछ नहीं मांग रहे हैं। उनकी मांग केवल शहीद के नाम पर क्षेत्र में चिकित्सालय खोलने की है ताकि क्षेत्र के लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधा मिल सके।

20 साल की उम्र में पिया था शहादत का जाम

जिला सोलन की उपतहसील कृष्णगढ़ के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत बुघार कनैता के 20 वर्षीय अमर शहीद धर्मेंद्र सिंह को उनकी वीरता के लिए हमेशा याद किया जाएगा। 26 जनवरी, 1979 को बुघार कनैता में जन्मे शहीद धर्मेंद्र सिंह राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय चंडी से 1996 में जमा दो तक शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात बीआरओ शिमला से सेना में भर्ती हो गए और 3 पंजाब रैजीमैंट में अपनी सेवाएं देते हुए 30 जून, 1999 को पाकिस्तानी फौज से लोहा लेते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए।

शहीद के नाम पर नहीं रखा स्कूल का नाम

शहीद पिता नरपत सिंह ने बताया कि 6 जुलाई को उस समय के मुख्यमंत्री रहे प्रो. प्रेम कुमार धूमल उनके घर सांत्वना देने पहुंचे तो उन्होंने दुर्गापुर धारड़ी स्कूल जहां शहीद धर्मेंद्र सिंह ने आठवीं तक की शिक्षा ग्रहण की थी। उस स्कूल का नाम उनके नाम पर रखे जाने की घोषणा की थी लेकिन आज दिन तक भी इस क्षेत्र में शहीद के नाम पर कोई भी कार्य नहीं किया गया है। उन्होंने इस क्षेत्र में एक आयुर्वैदिक चिकित्सालय की मांग की थी जिसकी फाइल राजनीतिज्ञों के आपसी मतभेदों के कारण आज तक ठंडे बस्ते में ही पड़ी है जिसका उन्हें सभी सरकारों से मलाल जरूर है।

शहीद के घर तक जाने वाला रास्ता अनदेखी का शिकार

शहीद के घर तक जाने वाला रास्ता आज भी सरकार की अनदेखी का शिकार है। उन्होंने कहा कि उनके परिवार से अधिकतर लोग भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे चुके हैं और कुछ अभी दे रहे हैं। धर्मेंद्र सिंह की शहादत के बाद उनके छोटे भाई जोगिन्दर कुमार ने भी भारतीय सेना में 18 साल तक सेवाएं दी हैं और उन्हीं के परिवार के 2 युवक अब भारतीय सेना की भर्ती में ग्राऊंड टैस्ट पास करने के बाद सेना में अपनी सेवा देने के लिए तैयार हैं।

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