Edited By Vijay, Updated: 10 Jan, 2024 08:05 PM
अधिष्ठाता रघुनाथ मंदिर सुल्तानपुर कुल्लू से अयोध्या के लिए पवित्र दुपट्टे व अन्य सामग्री जाएगी। 18 जनवरी को रघुनाथ जी के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह, गणेश किशोर व यशोदानंद वजीर यह सामग्री लेकर अयोध्या के लिए रवाना होंगे। अयोध्या का कुल्लू के साथ रिश्ता...
कुल्लू (शम्भू प्रकाश): अधिष्ठाता रघुनाथ मंदिर सुल्तानपुर कुल्लू से अयोध्या के लिए पवित्र दुपट्टे व अन्य सामग्री जाएगी। 18 जनवरी को रघुनाथ जी के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह, गणेश किशोर व यशोदानंद वजीर यह सामग्री लेकर अयोध्या के लिए रवाना होंगे। अयोध्या का कुल्लू के साथ रिश्ता है। 1648 में अयोध्या से रघुनाथ जी की त्रेता युग कालीन मूर्ति कुल्लू लाई गई। यह वह मूर्ति है जब त्रेता युग में लंका विजय के उपरांत अयोध्या आकर भगवान श्रीराम ने अश्वमेध यज्ञ करवाया था। सीता जी उस समय वनवास में थी और अश्वमेध यज्ञ के लिए दंपति की मौजूदगी की पूर्ति के लिए सिया और राम की मूर्तियां बनाई गईं। इन मूर्तियों को यज्ञ में स्थापित करके यज्ञ पूर्ण हुआ। इन मूर्तियों की उम्र साढ़े 17 लाख वर्ष आंकी गई है।
इसरो ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि राम सेतु प्रकृति निर्मित नहीं बल्कि मानव निर्मित सेतु है और इसकी आयु साढ़े 17 लाख वर्ष है। इसी हिसाब से रघुनाथ जी की कुल्लू में मौजूद मूर्ति की आयु भी इतनी ही हुई। सुल्तानपुर स्थित रघुनाथ जी मंदिर से जाने वाली सामग्री अयोध्या में भगवान श्रीराम मंदिर में अर्पित की जाएगी। रघुनाथ जी की इस मूर्ति को उस काल में कुल्लू लाने के बाद थरास के समीप मकराहड़ में रखा गया और बाद में इस मूर्ति को मणिकर्ण ले जाया गया। उसके उपरांत यह मूर्ति कुल्लू लाई गई और तभी 1660 से कुल्लू में दशहरा उत्सव मनाया जाने लगा। आज यह उत्सव अंतर्राष्ट्रीय दर्जा प्राप्त कर चुका है।
रघुनाथ मंदिर कुल्लू के कारदार दानवेंद्र सिंह ने बताया कि कुल्लू से रघुनाथ जी के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह 2 अन्य मुख्य कारकूनों के साथ 18 जनवरी को अयोध्या के लिए रवाना हो जाएंगे। वे वहां जाकर प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में भाग लेंगे और कुल्लू से भेजी गई भेंट को भी अयोध्या में श्रीराम मंदिर में अर्पित किया जाएगा।
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