Lockdown effect : मनाली की हवा देश में सबसे साफ

Edited By prashant sharma, Updated: 23 Apr, 2020 01:49 PM

lockdown effect  manali air cleanest in the country

कोरोना वायरस ने मानव का फायदा किया हो या न किया हो, परंतु प्रकृति के लिए कोरोना वायरस सबसे अधिक फायदेमंद हुआ है। एक ओर जहां मानव खौफ में है , वहीं प्रकृति के लिए वायरस वरदान बन गया है।

शिमला : कोरोना वायरस ने मानव का फायदा किया हो या न किया हो, परंतु प्रकृति के लिए कोरोना वायरस सबसे अधिक फायदेमंद हुआ है। एक ओर जहां मानव खौफ में है , वहीं प्रकृति के लिए वायरस वरदान बन गया है। देशभर में कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन है और इस वजह से नदी-नालों से लेकर हवा शुद्ध हो गई है। हिमाचल में भी प्रदूषण का लेवल गिरा है और सूबे की पर्यटन नगरी मनाली की हवा देश मे सबसे शुद्ध हो गई है। 

गौरतलब है कि इससे पहले, हिमाचल प्रदेश की आबो-हवा काफी साफ थी, लेकिन पिछले कुछ साल में कई कारणों से हिमाचल में भी प्रदूषण कर स्तर बढ़ने लगा। कर्फ्यू के बाद से प्रदेश में वाहनों की आवाजाही कम हुईं निर्माण कार्य बंद हैं। बहुत कम उद्योगों को चलाने की अनुमति है। प्रदेश में पिछले चार महीनों में प्रदूषण के स्तर में 50 से 60 प्रतिशत तक कमी आई है। यही नहीं, मनाली में लॉकडाउन के बाद आएसपीएम का स्तर 15 प्वाइंट से भी नीचे पहुंच गया है। हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जनवरी से लेकर 18 अप्रैल तक का डाटा जारी किया है। 
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आंकडों के अनुसार, मनाली की आबोहवा इस वक्त देश में सबसे शुद्ध है। आरएसपीएम के निर्धारित मानक के अनुसार, इसका स्तर 100 आरएसपीएम माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर होना चाहिए, लेकिन मनाली में ये स्तर 9 आरएसपीएम है। ऐसे में कह सकते हैं कि लॉकडाउन के चलते मनाली की हवा देश में सबसे शुद्ध हो गई है। इससे पहले हिमाचल के किन्नौर की हवा को देश में सबसे शुद्ध आंका गया था। मनाली ही नहीं, प्रदेश के औद्यौगिक क्षेत्रों में भी प्रदूषण के स्तर में करीब 70 प्रतिशत तक कमी आई है। मौजूदा समय में सड़कों पर करीब पांच फीसदी ही वाहन चल रहे हैं और दवा उद्योग के अलावा अन्य उद्योग भी बंद हैं। सूबे के प्रमुख पांच शहरों बद्दी, शिमला, सुंदरनगर, परवाणू व ऊना में रिस्पायरेबल सस्पेंडिड पार्टिकुलेट मेटर यानी आरएसपीएम निर्धारित मानकों से नीचे आ गया है। प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वायु की गुणवत्ता की जांच की, जिसमें आरएसपीएम का स्तर ज्यादातर क्षेत्रों में 50 माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर से नीचे है। वहीं सल्फर डाईआक्साईड (सॉक्स) और नाईट्रोजन ऑक्साइड (नॉक्स) के मानक का स्तर 80 माईक्रो ग्राम प्रति घनमीटर निर्धारित किया गया है, जोकि पिछले चार महीनों में काफी कम स्तर पर पहुंच गया है। 

आदित्य नेगी, सदस्य सचिव, हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बताया कि हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जनवरी से लेकर अप्रैल माह का आंकड़ा जारी किया है। इसमें प्रदेश के सात शहरों बद्दी, परवाणू, सुंदरनगर, शिमला, पांवटा साहिब, ऊना और मनाली का आरएसपीएम, सल्फर डाईआक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड का स्तर मापा गया है। आंकड़ों के अनुसार प्रदूषण के स्तर में भारी गिरावट दर्ज की गई है। बद्दी में जनवरी में आरएसपीएम का स्तर 125 माईक्रो ग्राम प्रति घनमीटर था. जो फरवरी में बढकर 152.6 पहुंच गया। लेकिन अप्रैल में यह गिरकर 71 माईक्रो ग्राम प्रति घनमीटर रह गया। परवाणू के सेक्टर-4 से में जनवरी में आरएसपीएम का स्तर 48.7 था, जोकि अप्रैल में घट कर 34.5 माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर पहुंच गया। सुंदरनगर में जनवरी में आरएसपीएम स्तर 72 था, जो अप्रैल में लुढ़कर 23 माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर पहुंच गया। राजधानी शिमला में जनवरी में आरएसपीएम का स्तर 58.4 था, जो अप्रैल में घटकर 48.8 माईक्रो ग्राम प्रति घनमीटर रहा। सिरमौर के पांवटा साहिब में जनवरी में आरएसपीएम का स्तर 75.9 था, लेकिन अप्रैल में यह 40 रह गया। इसके अलावा, ऊना में पॉल्यूशन का लेवल 60.6 से गिरकर 26.9 पहुंच गया।
 

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