Edited By Ekta, Updated: 04 Dec, 2018 02:03 PM
सिरमौर जिला के गिरिपार क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र घोषित करने का मामला ठंडे बस्ते में पड़ता नजर आ रहा है। आरजीआई ने राज्य सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। वहीं अब हाटी समुदाय के लोगों की नाराजगी खुलकर सामने आने लगी है और लोग चुनाव के बहिष्कार...
सिरमौर (सतीश): सिरमौर जिला के गिरिपार क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र घोषित करने का मामला ठंडे बस्ते में पड़ता नजर आ रहा है। आरजीआई ने राज्य सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। वहीं अब हाटी समुदाय के लोगों की नाराजगी खुलकर सामने आने लगी है और लोग चुनाव के बहिष्कार का मन बना रहे हैं। बता दें कि पिछले करीब 50 सालों से जनजातीय क्षेत्र घोषित करने की मांग कर रहे गिरीपार के हाटी समुदाय की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। आरजीआई यानी रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया ने राज्य सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है जिसके बाद समुदाय के लोगों में निराशा है।
2014 के चुनाव के समय बीजेपी ने किया था वायदा
लोग इस पूरे मामले को लेकर बीजेपी और कांग्रेस दोनों राजनीतिक दलों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उनका कहना है कि राजनीतिक दलों ने इस मामले को हमेशा चुनावी मुद्दा बनाया और लाखों लोगों की उम्मीदों के साथ खिलवाड़ करते रहे। दरअसल 2014 के चुनाव के समय बीजेपी ने वायदा किया था कि अगर शिमला संसदीय सीट पर बीजेपी जीत दर्ज करती है और देश में बीजेपी की सरकार बनती है तो क्षेत्र को जनजाति क्षेत्र का दर्जा दिया जाएगा। खुद तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने नाहन के ऐतिहासिक चौगान मैदान से इस बात की घोषणा की थी, यही नहीं साल 2017 में हरिपुरधार दौरे के दौरान खुद केंद्रीय जनजातीय मंत्री ने 2019 के चुनाव से पहले इस मांग को पूरी करने का वायदा किया था।
आगामी लोकसभा चुनाव का पूरी तरह से बहिष्कार किया जाए
जनजातीय क्षेत्र घोषित करने संघर्ष कर रही केंद्रीय हाटी समिति से जुड़े लोगों का कहना है कि लोगों से आग्रह किया जाएगा कि आगामी लोकसभा चुनाव का पूरी तरह से बहिष्कार किया जाए। साथ ही रणनीति तैयार की जाएगी कि लोग अब अपने तरीके से आन्दोलन का रास्ता अपनाकर लड़ाई लड़ें। लोगों का कहना है कि प्रदेश में चाहे कोई भी सरकार न हो लोगों को बार-बार रिपोर्ट बनाने के नाम पर सिर्फ गुमराह किया जा रहा है, जबकि हकीकत यह है कि मामले को लेकर कोई गंभीर नहीं है। लोगों की माने तो पिछले करीब 50 सालों से यह लड़ाई लड़ रहे हैं। गिरीपार के साथ लगते उत्तराखंड राज्य के जौनसार बाबर क्षेत्र को 1967 में जनजातिय क्षेत्र का दर्जा दिया गया था। यह क्षेत्र भी कभी सिरमौर जिला का ही हिस्सा हुआ करता था ऐसे में लोग मांग कर रहे हैं कि जौनसार बाबर की तर्ज पर के गिरीपार को भी जनजाति क्षेत्र का दर्जा मिलना चाहिए। मगर उनकी यह मांग आज तक पूरी नहीं हो पाई है लोग सीधे तौर पर यहां भेदभाव के आरोप लगा रहे हैं।