लाहौल घाटी में मशाल जलाकर भगाए भूत-प्रेत

Edited By Ekta, Updated: 16 Jan, 2019 02:22 PM

lahaul valley

लाहौल घाटी में नव वर्ष के आगमन पर मनाया जाने वाला हालड़ा उत्सव सभी कबायलियों द्वारा समान रूप से मनाया जाता है, लेकिन मनाने की विधि एवं तिथि पट्टन, तिनन, गाहर, तोद तथा मयाड़ घाटी में भिन्न-भिन्न है। इसी कड़ी में सबसे पूर्व 15 जनवरी को गाहर वैली में...

केलांग: लाहौल घाटी में नव वर्ष के आगमन पर मनाया जाने वाला हालड़ा उत्सव सभी कबायलियों द्वारा समान रूप से मनाया जाता है, लेकिन मनाने की विधि एवं तिथि पट्टन, तिनन, गाहर, तोद तथा मयाड़ घाटी में भिन्न-भिन्न है। इसी कड़ी में सबसे पूर्व 15 जनवरी को गाहर वैली में लामाओं द्वारा निर्धारित तिथि के दिन बिलिंग, केलांग, करदंग, लपचांग, पेरसपग, प्यूकर, गुसकयर, यूरनाथ, स्तींगरी तथा ग्रिमस आदि गांवों में हालड़ा उत्सव को धूमधाम से मनाया गया।

इसी उत्सव को पट्टन, तिनन और म्याड़ वैली में 22 जनवरी को मनाया जाएगा। मंगलवार को गाहर घाटी केे सभी गांववासियों ने अपने-अपने गांव में इकट्ठे होकर ईष्ट देवी-देवताओं की सामूहिक पूजा-अर्चना की ओर शाम को प्रत्येक घर से पवित्र मशालें जलाकर गांव के निर्धारित स्थान पर एकत्र होकर परंपरा अनुसार छांग की मस्ती में स्वादिष्ट व्यंजनों का लुत्फ उठाया तथा खुशियां बांटी और एक-दूसरे को बधाई देकर खुशहाली व सुख-शांति की कामना की। उठी और लोगों ने मशाल के अलाव के गिर्द पारंपरिक गीत, हईशा माशा हईशा, करदंग रानी भावा हईशा, गुशपा राणी शोशा हईशा हुई थुस्कियो गाकर बुरी शक्तियों को दूर भगाया।

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