मनाली में अनोखी रक्षाबंधन कहानी: कल्पना ने 17 साल के देवदार के पेड़ को भाई मानकर बांधी राखी

Edited By Jyoti M, Updated: 09 Aug, 2025 02:46 PM

kalpana tied rakhi to 17 year old deodar considering him as her brother

रक्षाबंधन, भाई-बहन के अटूट प्रेम और विश्वास का प्रतीक है, जिसे पूरे देश में शनिवार को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। लेकिन हिमाचल प्रदेश के मनाली में एक अनोखी और प्रेरणादायक कहानी सामने आई, जिसने इस पर्व को एक नया अर्थ दिया। मनाली की रहने वाली...

हिमाचल डेस्क। रक्षाबंधन, भाई-बहन के अटूट प्रेम और विश्वास का प्रतीक है, जिसे पूरे देश में शनिवार को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। लेकिन हिमाचल प्रदेश के मनाली में एक अनोखी और प्रेरणादायक कहानी सामने आई, जिसने इस पर्व को एक नया अर्थ दिया। मनाली की रहने वाली कल्पना ठाकुर ने हर साल की तरह इस बार भी एक देवदार के पेड़ को राखी बांधी, जिसे उन्होंने 17 साल पहले लगाया था। यह कहानी सिर्फ एक त्योहार की नहीं, बल्कि प्रकृति और मानव के बीच के गहरे रिश्ते की भी है।

प्रकृति से अटूट बंधन

कल्पना ठाकुर ने महज तीन साल की उम्र में मनाली के अलेउ बिहाल में एक छोटा सा देवदार का पौधा लगाया था। उस दिन से लेकर आज तक, वह उस पौधे की देखभाल अपने छोटे भाई की तरह करती आ रही हैं। उनका यह अद्भुत रिश्ता 17 साल से चला आ रहा है। हर साल रक्षाबंधन के पावन अवसर पर कल्पना इस पेड़ को अपना भाई मानकर राखी बांधती हैं और उसकी लंबी उम्र की कामना करती हैं।

शनिवार को भी, राखी बांधने के शुभ मुहूर्त में, कल्पना अपने पिता, जो एक जाने-माने पर्यावरणविद् और राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता किशन ठाकुर हैं, के साथ अलेउ बिहाल पहुंचीं। उन्होंने पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना की और फिर अपने देवदार 'भाई' को राखी बांधी। इस दौरान उनकी आँखों में अपने इस अनोखे रिश्ते के प्रति गहरा सम्मान और प्रेम झलक रहा था।

रक्षाबंधन पर पौधारोपण का संकल्प

इस मौके पर कल्पना ने केवल पेड़ को राखी ही नहीं बांधी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए उसी स्थान पर पौधारोपण भी किया। उनका यह कदम आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि पर्यावरण की रक्षा करना और अधिक से अधिक पेड़ लगाना आज की सबसे बड़ी जरूरत है। उन्होंने सभी से अपील की कि वे अपने जीवन में एक पेड़ अवश्य लगाएं और उसकी देखभाल करें, क्योंकि पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने के लिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण है।

मूल रूप से जनजातीय जिले लाहौल-स्पीति के मूलिंग गांव की रहने वाली कल्पना ठाकुर की यह कहानी हमें सिखाती है कि प्रेम और अपनापन केवल इंसानों तक सीमित नहीं होता, बल्कि हम प्रकृति के साथ भी एक गहरा और अटूट रिश्ता बना सकते हैं। यह न केवल प्रकृति के प्रति हमारी जिम्मेदारी को याद दिलाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि एक छोटा सा प्रयास कितना बड़ा बदलाव ला सकता है। 

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