जोड़ों के दर्द को भगाता है मणिकर्ण का खौलता पानी, जानिए क्या है इस चमत्कार का रहस्य

Edited By Punjab Kesari, Updated: 05 Jan, 2018 10:37 AM

joints pain to beat is manikaran boiling water

धार्मिक पर्यटन नगरी मणिकर्ण में खौलता पानी जोड़ों के दर्द में राहत के लिए रामबाण इलाज माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि कई लोग खौलते पानी के कुंड के इर्द-गिर्द बैठकर जोड़ों के दर्द में आराम पा रहे हैं। कई लोग नहाने के लिए बनाए कुंड में काफी देर...

कुल्लू (शम्भू प्रकाश): धार्मिक पर्यटन नगरी मणिकर्ण में खौलता पानी जोड़ों के दर्द में राहत के लिए रामबाण इलाज माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि कई लोग खौलते पानी के कुंड के इर्द-गिर्द बैठकर जोड़ों के दर्द में आराम पा रहे हैं। कई लोग नहाने के लिए बनाए कुंड में काफी देर बैठकर जोड़ों के दर्द से आराम पा रहे हैं। मणिकर्ण निवासी संजीव शर्मा, अजीत कुमार, चांद किशोर, झाबे राम, प्रेम चंद, होटल कारोबारी गिरिराज बिष्ट, जगदीश और हुकम आदि ने कहा कि जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए कई लोग मणिकर्ण आ रहे हैं। जोड़ों में दर्द से परेशान कई लोग तो ऐसे हैं, जो सर्दियों में मणिकर्ण आकर कई दिनों तक अपने रिश्तेदारों के यहां रहते हैं। जोड़ों में दर्द ज्यादातर सर्द मौसम में परेशान करता है। 
PunjabKesari

जानिए क्या है इस चमत्कार का रहस्य
मनाली में एक धार्मिक जगह ऐसी है जहां एक अद्भुत चमत्कार देखने को मिलता है। एक ओर पार्वती नदी में बहता बर्फ जैसा ठंडा पानी, तो दूसरी ओर उसके किनारे खौलता हुआ गर्म पानी, इतना गर्म कि कुछ मिनट में खाना पक जाए। हिंदू धर्म कीअवधारणा के अनुसार मणिकर्ण को पुराण में सबसे उत्तम और कुलांत पीठ में स्थित श्रेष्ठ तीर्थराज माना गया है। बताया जाता है कि एक बार भगवान शिव और माता पार्वती संसार भ्रमण करते हुए इस स्थान पर पहुंचे। इस स्थान का अनुपम सौंदर्य और प्रकृति की मनोहारी शोभा देखकर शिव-पार्वती यहां रुक गए और हजारों वर्षों तक यहां तप और निवास किया। एक बार जलक्रीड़ा करते समय माता पार्वती के कान के आभूषण की मणि कहीं गिर कर गुम हो गई। भगवान शंकर के आदेश पर गणों ने मणि को सर्वत्र ढूंढा, परंतु मणि कहीं न मिली।  
PunjabKesari

इस पर भगवान शंकर क्रोधित हो उठे और उन्होंने अपना दिव्य नेत्र खोला। भगवान शंकर के तीसरे नेत्र से नयना माता प्रकट हुइर्ं, इसलिए मणिकर्ण को नयना माता की जन्मस्थली भी माना जाता है। सभी देवी-देवता भयभीत हो गए और ब्रह्मांड कांप उठा। शेषनाग जी ने जोर का फुफकार छोड़ी, जिससे उबलते हुए गर्म जल की धारा फूट पड़ी। इस धारा में सहस्रों अन्य मणियों सहित माता पार्वती के कान के आभूषण की मणि भी निकल आई और भगवान शंकर का क्रोध शांत हो गया। इस कारण इसका नाम मणिकर्ण पड़ गया। मणिकर्ण में 86 से 96 डिग्री तापमान के गर्म पानी के उठते फब्बारे हर किसी का मन मोह लेते हैं। ऐसे ही गर्म फव्वारे के पास भगवान शिव का एक बहुत ही भव्य मंदिर स्थापित है, जिसमे भगवान शंकर जी एक बड़े शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं और उनके मंदिर के ठीक सामने एक पीतल के नंदी की बड़ी सी मूर्ति भी है। इसके अलावा यहां राम मंदिर भी है। गुरु नानकदेव जी भी 1574 विक्रमी संवत् को मणिकर्ण आए थे। उनके साथ भाई बाला और मरदाना भी थे। सिख धर्म की प्रमुख आस्था का प्रतीक एक भव्य गुरुद्वारा यहां शिवमंदिर के बगल में ही स्थापित है। जिसे मणिकर्ण साहिब के नाम से जाना जाता है। गुरुद्वारा और राम मंदिर में समयानुसार हमेशा लंगर आयोजन रहता है और लंगर का खाना उबलते गर्म कुंड के पानी में ही पकता है।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!