इन्वेस्टर मीट: आखिर कैसे बुद्धू बना रही हिमाचल सरकार

Edited By Ekta, Updated: 04 Nov, 2019 03:19 PM

investor meet how himachal government is making fool

नई नवेली हिमाचल प्रदेश की जयराम सरकार। ऐसा इसलिए, क्योंकि सत्ता में आए 2 साल पूरे होने जा रहे हैं, लेकिन प्रदेश सरकार अब तक अपने घुटनों पर खड़ी नहीं हो पाई है। जनता को इस सरकार से बड़ी आस थी कि वर्षों बाद नया चेहरा प्रदेश के मुखिया के रूप में मिला...

शिमला (ब्यूरो): नई नवेली हिमाचल प्रदेश की जयराम सरकार। ऐसा इसलिए, क्योंकि सत्ता में आए 2 साल पूरे होने जा रहे हैं, लेकिन प्रदेश सरकार अब तक अपने घुटनों पर खड़ी नहीं हो पाई है। जनता को इस सरकार से बड़ी आस थी कि वर्षों बाद नया चेहरा प्रदेश के मुखिया के रूप में मिला है, लेकिन जनता के सारे सपने धरे के धरे रह गए हैं। हिमाचल में इन दिनों नया चर्चित मुद्दा धर्मशाला में आयोजित होने वाली इन्वेस्टर मीट का है।

सरकार ने इस इन्वेस्टर मीट का प्रचार-प्रसार तो बड़े ढोल पीटकर किया है तथा इस पर करोड़ों रूपए पानी की तरह खर्चे जा रहे हैं, लेकिन आने वाले समय में यह पहले की तरह जुमला ही साबित होगा या फिर दूरगामी सकारात्मक परिणाम की सौगात लेकर आएगा। फिलहाल इस पर प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है, क्योंकि हिमाचल विधानसभा चुनाव में डबल इंजन से प्रदेश के विकास कार्यों को तीव्र गति देने के वायदे करने वाली भाजपा की सरकारें अब तक मुंगेरी लाल के हसीन सपने ही दिखाती आई है, क्योंकि वर्ष 2016 में केंद्र सरकार द्वारा हिमाचल के लिए 69 राष्ट्रीय उच्चमार्ग की घोषणा की थी, जिनकी आवाज खामोश हो गई है।

नई रेल लाइन व पुरानी के विस्तारीकरण के लिए केंद्र ने पहले ही 52000 करोड़ के कर्ज के दलदल में फंसे हिमाचल की प्रदेश सरकार को दो टूक कहा है कि बजट दे। सपनों की चाशनी में अब इन्वेस्टर मीट को बढ़ा-चढ़ा कर बताया जा रहा है। 85000 करोड़ रूए के निवेश का ढोल पीटा जा रहा है। देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ टूट चुकी है और ऐसे में इतने बड़े निवेश का दावा हर किसी को अखर रहा है।  

फिर भी निवेश अच्छा, पर खड्डनुमा सड़कों से संभव कैसा

अगर करोड़ों का निवेश हिमाचल में होता है और उद्योग खुलने के साथ हजारों युवाओं को रोजगार मिलने की बात की जा रही है तो इससे बेहतर क्या होगा, लेकिन खड्डनुमा सड़कों से ऐसा सपना देखना ही संभव नहीं लगता है। प्रदेश से गुजरते राष्ट्रीय उच्चमार्गों से लेकर राज्य मार्गों की हालत किसी से छिपी नहीं है। रेल विस्तार हो नहीं पाया है। सरकार को चाहिए था कि इन सब पहलुओं पर पहले गौर करती।

प्रकृति के अनमोल खजाने के आगे फीका करोड़ों का निवेश 

वर्तमान में सबसे बड़ी समस्या पर्यावरण प्रदूषण को लेकर है। देश की राजधानी दिल्ली के हाल इस मामले में छिपे नहीं छिपाये जा रहे हैं। पर्यावरण सरंक्षण में हमारे प्राकृतिक संसाधनों को सहेजने की जरूरत है। देश के पहाड़ी राज्य, जहां प्रकृति ने प्राकृतिक संसाधनों के रूप में भरपूर खजाना दिया है, वहां सही नीयत व सोच के साथ औद्योगिक निवेश की बात करने की बजाये पर्यटन को उभारने व निखारने की दिशा में काम करना चाहिए। यूं भी हिमाचल देवी-देवताओं की भूमि है और पर्यटक स्थलों के लिए हिमाचल की अलग पहचान है।प्राकृतिक नजारे ऐसे कि एक बार यहां आकर वापस लौटने का मन नहीं करता है। प्रदूषण रहित भारत की बात करनी है तो पर्यटन की संभावनाओं पर विचार करना चाहिए। जिसके लिए करोड़ों के निवेश की आवश्यकता भी नहीं पड़ेगी और युवाओं को भी स्वरोजगार के साधन विकसित होंगे। प्राकृतिक संसाधनों का दोहन भी नहीं करना पड़ेगा जोकि आने वाली पीढ़ियों के लिए वरदान साबित होगा। अंत में इन पंक्तियों के साथ यही कहना चाहूंगा कि पीढ़ियां गुजर जाती हैं, एक नगर बसाने को।तुम इतने बेदर्द क्यों हो जो बहुत कम समय लगाते हो उसे उजाड़ने में।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!