इंडियन टैक्नोमैक घोटाला : CID ने लिए DGM के हैंडराइटिंग के सैंपल

Edited By Vijay, Updated: 01 Aug, 2018 07:43 PM

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हिमाचल के सबसे बड़े घोटालों में शुमार इंडियन टैक्नोमैक कंपनी के घोटाले की जांच के तहत सी.आई.डी. ने बीते दिनों गिरफ्तार किए गए डी.जी.एम. स्टोर्स राज कुमार सैनी की हैंडराइटिंग के नूमने भी ले लिए हैं।

शिमला (राक्टा): हिमाचल के सबसे बड़े घोटालों में शुमार इंडियन टैक्नोमैक कंपनी के घोटाले की जांच के तहत सी.आई.डी. ने बीते दिनों गिरफ्तार किए गए डी.जी.एम. स्टोर्स राज कुमार सैनी की हैंडराइटिंग के नूमने भी ले लिए हैं। इससे पहले जांच एजैंसी डी.जी.एम. अकाऊंट्स विवेक कुमार की हैंडराइटिंग के नमूने भी ले चुकी है, ऐसे में सी.आई.डी. जल्द ही हैंडराइटिंग के नूमनों को फोरैंसिक लैब भेजेगी ताकि जांच में सामने आए साक्ष्यों को पुख्ता किया जा सके।


अब तक हो चुकी हैं 4 गिरफ्तारियां
4500 करोड़ रुपए से अधिक के घोटाले की जांच के तहत सी.आई.डी. अब तक चार गिरफ्तारियां कर चुकी है। छानबीन के दौरान जांच टीम को कई फर्जी बिल और दस्तावेज हाथ लगे हैं, ऐसे में सी.आई.डी. ने डी.जी.एम. अकाऊंट्स के साथ-साथ डी.जी.एम. स्टोर्स की हैंडराइटिंग के भी नमूने लिए ताकि पता लगाया जा सके कि संबंधित दस्तावेजों पर किए गए हस्ताक्षर उनके ही हंै या किसी अन्य के?


3 से 4 व्यक्ति सी.आई.डी. के राडार पर
सी.आई.डी. सूत्रों के अनुसार पकड़े गए आरोपियों ने पूछताछ में घोटाले में संलिप्त कई अन्य के नाम और उनकी भूमिका के भी खुलासे किए हैं। वर्ष 2014 में कर चोरी का मामला सामने आने के बाद से टैक्नोमैक कंपनी के प्रबंधन से जुड़े अधिकारी फरार चल रहे हैं, ऐसे में जांच टीम जगह-जगह उनकी तलाश कर रही है ताकि पूरे घोटाले की परतें उधेड़ी जा सकें। इस मामले में 3 से 4 व्यक्ति  सी.आई.डी. के राडार पर है और जल्द ही उनकी गिरफ्तारियां भी संभव हैं। कुछ तत्कालीन सरकारी मुलाजिमों पर भी शिकंजा कसा जाना तय माना जा रहा है।


छानबीन में हाथ लगे बिल-बैलेंस शीट
सूत्रों की मानें तो सी.आई.ङी. को जांच के दौरान जो बिल, टर्न ओवर और बैलेंस शीट के अलावा अन्य दस्तावेज मिले हैं, इनमें कुछ दस्तावेजों में डी.जी.एम. अकाऊंट्स और स्टोर्स के हस्ताक्षर हंै। अधिकतर बिल और दस्तावेज फर्जी पाए गए हैं। ऐसे में पूछताछ के दौरान आगामी दिनों में कई राज खुल सकते हैं।


फैक्टरी के अंदर कई सबूत कर डाले नष्ट
भगौड़ा इंडियन टेक्नोमैक कंपनी के घोटाले की जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि कंपनी के कत्र्ता-धरताओं ने कई सबूतों को फैक्टरी अंदर ही नष्ट करने की कोशिश की है। इसके साथ ही कंपनी कई साल तक फर्जीवाड़ा करती रही जबकि सरकारी महकमों को इसकी भनक तक नहीं लगी। कंपनी ने बैंकों से करोड़ों रुपए का लोन फर्जी उत्पादन के सहारे ही लिया गया। कंपनी ने टैक्स भी नहीं चुकाया।

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