Edited By prashant sharma, Updated: 24 Dec, 2021 11:49 AM
रासायनिक खादों के क्षेत्र में भारत के सबसे बड़े उपक्रम इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर्स कोऑपरेटिव लिमिटेड द्वारा भारत सरकार द्वारा निर्धारित किए गए लक्ष्य की प्राप्ति में विशेष फोकस किया जा रहा है। इस लक्ष्य के तहत सबसे पहले किसानों की लागत को न्यूनतम...
ऊना (अमित शर्मा) : रासायनिक खादों के क्षेत्र में भारत के सबसे बड़े उपक्रम इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर्स कोऑपरेटिव लिमिटेड द्वारा भारत सरकार द्वारा निर्धारित किए गए लक्ष्य की प्राप्ति में विशेष फोकस किया जा रहा है। इस लक्ष्य के तहत सबसे पहले किसानों की लागत को न्यूनतम करना निर्धारित किया गया है, वही न्यूनतम लागत से किसान किस प्रकार अधिकतम पैदावार ले सकते हैं उसको लेकर इफको द्वारा नैनो लिक्विड यूरिया को लॉन्च किया गया है। इफको के दिल्ली स्थित डीजीएम वेदपाल ने ऊना जिला मुख्यालय पर आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि नैनो लिक्विड यूरिया की प्रमोशन के साथ-साथ किसानों के साथ संगोष्ठी आयोजित की जाएंगी। इफको द्वारा लांच की गई नैनो लिक्विड यूरिया पर पिछले तीन साल से रिसर्च चल रही है। जिस के करीब 11000 केंद्रों पर इसके ट्रायल भी चलाए गए। इन्हीं ट्रायल के आधार पर भारत सरकार द्वारा इस प्रोडक्ट को मान्यता प्रदान की गई है। गौरतलब है कि है भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में यूरिया के क्षेत्र में पहला नैनो प्रोडक्ट है। ट्रायल के नतीजे भी काफी चौंकाने वाले रहे हैं, जिसमें एक बोरी यूरिया का काम केवल मात्र आधा लिटर नैनो लिक्विड यूरिया आराम से कर रहा है।
भारत सरकार द्वारा किसानों की लागत को कम करने और पैदावार को बढ़ाने और इसके साथ-साथ पर्यावरण को सुरक्षित रखने के उद्देश्य की पूर्ति के लिए इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड द्वारा नैनो लिक्विड यूरिया को लॉन्च कर दिया गया है। इफको के डीजीएम वेदपाल ने ऊना में प्रेस वार्ता में इसका खुलासा करते हुए कहा कि इफको द्वारा देशभर में करीब 11000 केंद्रों पर पिछले 3 साल में लिक्विड नैनो यूरिया पर रिसर्च की गई है। जिसमें चौंकाने वाले परिणाम सामने आने के बाद अब नैनो लिक्विड यूरिया को देशभर में प्रमोट करने के लिए कमर कस ली गई है। डीजीएम वेदपाल ने बताया कि यूरिया की एक बोरी का काम करीब आधा लिटर नैनो लिक्विड यूरिया बड़े आराम से कर रहा है।
इसके साथ साथ परंपरागत यूरिया की अपेक्षा नैनो लिक्विड यूरिया पर्यावरण के लिए भी बेहद कम घातक हुआ है। डीजीएम ने बताया कि इससे पूर्व खेतों में छिडकाई जाने वाली यूरिया का केवल 40 फीसदी हिस्सा ही फसलों को मिल पाता था। जबकि बाकी हिस्सा पानी, हवा या फिर मिट्टी में ही चला जाता था, जिससे पर्यावरण काफी गलत असर पड़ता रहा है। लेकिन नैनो लिक्विड यूरिया का पर्यावरण पर कोई असर नहीं रहेगा क्योंकि इसे घोल के रूप में पौधों पर छिड़काया जाएगा और इसका जमीन के साथ संपर्क बेहद कम रहेगा। इफको के डीजीएम वेदपाल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में लिक्विड नैनो यूरिया की प्रमोशन के दौरान किसानों के साथ गोष्ठियां आयोजित की जाएगी। ताकि उन्हें परंपरागत ऊर्जा की अपेक्षा लिक्विड नैनो यूरिया के इस्तेमाल से अवगत करवाते हुए इस ओर आकर्षित किया जा सके। उन्होंने कहा कि यूरिया का नैनो लिक्विड रूप में इस्तेमाल पर्यावरण पर भी किसी प्रकार का प्रतिकूल असर नहीं डालेगा।