Edited By prashant sharma, Updated: 04 Mar, 2021 01:23 PM
26 फरवरी को हिमाचल विधानसभा में हुए हंगामे के बाद से सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के बीच गतिरोध जारी है। सत्र के पांचवे दिन पांच निलंबित विधायकों सहित समूचा विपक्ष सदन में नहीं गया और सदन के बाहर मौन बैठा रहा।
शिमला (योगराज) : 26 फरवरी को हिमाचल विधानसभा में हुए हंगामे के बाद से सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के बीच गतिरोध जारी है। सत्र के पांचवे दिन पांच निलंबित विधायकों सहित समूचा विपक्ष सदन में नहीं गया और सदन के बाहर मौन बैठा रहा। अभी तक सदन से गैरहाजिर रहने वाले पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह भी कांग्रेस विधायकों के धरने में समर्थन देने पहुंचे। करीब एक घंटे तक विपक्ष के साथ मौन बैठने के बाद गेट के बाहर से ही वीरभद्र सिंह वापिस अपने निवास स्थान हॉलीलॉज लौट गए लेकिन जाते जाते मुख्यमंत्री जयराम को नसीहत भी देते गए।
उन्होंने कहा कि वह 6 बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे है। यदि वह मुख्यमंत्री होते तो एक घंटे में मामले को सुलझा देते। जयराम सरकार चाहे तो 5 मिनट में मसले को हल कर सकती है लेकिन सरकार की इच्छाशक्ति ही नहीं है। वीरभद्र सिंह से पूछे गए गतिरोध को समाप्त करने के लिए मुख्यमंत्री के पास जाकर बाते करने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जयराम ठाकुर एक बार मुख्यमंत्री बने है जबकि वह 6 बार मुख्यमंत्री रहे हैं इसलिए किसको किसके पास जाना चाहिए यह मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को देखना है। विधायकों ने कोई इतना बड़ा अपराध नहीं किया है जिसके लिए उन्हें इतने दिन तक बाहर किया जाए। सरकार को बहादूरी दिखाने की आवश्यकता है। हिमाचल के बजट इतिहास में ऐसा पहले कभी नही हुआ है कि विपक्ष के बिना बजट पेश हुआ है। 6 मार्च को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर बजट पेश करेंगे। विपक्ष को इतना लंबा विरोध नहीं करना चाहिए लेकिन सत्ता पक्ष यदि मामले को सुलझाना नहीं चाहता है तो विपक्ष भी क्या कर सकता है सरकार को विपक्ष की चिंता होनी चाहिए।