Edited By Vijay, Updated: 11 Jul, 2024 05:27 PM
कुल्लू जिला में मेलों का इतिहास किसी न किसी देवता के साथ जुड़ा है। जिला के सैंज घाटी स्थित कनौन में हूम मेले में देव परंपरा की अनूठी मिसाल देखने को मिली।
सैंज (बुद्धि सिंह): कुल्लू जिला में मेलों का इतिहास किसी न किसी देवता के साथ जुड़ा है। जिला के सैंज घाटी स्थित कनौन में हूम मेले में देव परंपरा की अनूठी मिसाल देखने को मिली। देवता ब्रह्मा व देवी भगवती के होम मेले में देव हारियानों ने लगभग 70 फुट लंबी लकड़ी की जलती मशाल को कंधे पर उठाकर देव कार्य विधि अनुसार गांव की परिक्रमा कर देव कार्य को निभाया। इस परम्परा को देखने के लिए कनौन में देवी भगवती व ब्रह्मा के मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने हाजिरी भरी। मान्यता है कि इस दिन देवी भगवती प्राकृतिक आपदा को टालने के लिए ज्वाला का रूप धारण कर सभी की मनोकामना पूरी करती है। काबिले गौर है कि हर वर्ष आषाढ़ महीने में देवी भगवती लक्ष्मी अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए हूम जगराते पर्व का आयोजन करती है। देवी के गुर रोशन लाल व झाबे राम ने बताया कि क्षेत्र में घटने वाली प्राकृतिक आपदा या बुरी आत्मा तथा भूत पिशाच की नजरों से बचने के लिए इस हूम पर्व का आयोजन किया जाता है। बुधवार रात्रि को देवी भगवती और ब्रह्मा ऋषि के रथ को लाव-लश्कर के साथ माता के मंदिर देहरी में पहुंचाया, जहां पूजा-अर्चना कर रात्रि 12 बजे के करीब यह देव कार्य शुरू हुआ।
मंदिर के पास करीब 70 फुट लंबी मशाल को देव आज्ञा अनुसार मंदिर में जलते दिए के साथ जलाया और देवता के करिदों ने इस मशाल को कंधे पर उठाकर मंदिर के चारों ओर परिक्रमा कर लगभग 1 किलोमीटर दूर कनौन गांव पहुंचाया। इस मशाल को गांव के बीच खड़ा कर देव खेल का निर्वाह हुआ और जलती मशाल के साथ देवी भगवती के गुर व उनके अंग-संग चलने वाले शूरवीर देवता तुंदाला, बनशीरा खोडू, पंचवीर व देवता जहल के गुर ने जलती मशाल के आगे देव खेल कर देव परंपरा का निर्वाह किया। इसके बाद देव कार्य संपन्न होने के पश्चात इस जलती मशाल को गांव के बीच खड़ा किया और देव नाटी का आयोजन किया।
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