Baba Bhootnath Temple : दिलचस्प है मंदिर की कहानी, बच्चों की शुद्धि के लिए कराए जाते हैं दर्शन

Edited By Rahul Singh, Updated: 31 Jul, 2024 02:49 PM

himachal mandi history of baba bhootnath temple

व्यास नदी के तट पर बसी मंडी, जिसे 'छोटी काशी' के नाम से भी जाना जाता है, में स्थित बाबा भूतनाथ मंदिर एक ऐतिहासिक और प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भगवान शिव के एक रूप, भूतनाथ को समर्पित है।

मंडी : व्यास नदी के तट पर बसी मंडी में स्थित बाबा भूतनाथ मंदिर एक ऐतिहासिक और प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जिसे 'छोटी काशी' के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर भगवान शिव के एक रूप, भूतनाथ को समर्पित है। सावन के महीने में हर सोमवार को बाबा भूतनाथ मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना और भंडारे का आयोजन बड़े धूमधाम से किया जाता है। 1527 ईस्वी में स्थापित इस ऐतिहासिक मंदिर का स्वरूप आज भी वैसा ही बना हुआ है।

मंदिर के अंदर प्राचीन वाद्य यंत्र और मूर्तियां रखी गई हैं, जो इसकी ऐतिहासिकता को दर्शाती हैं। रोज सुबह पांच बजे और शाम को आरती का आयोजन होता है। भक्तों को पूजा का विशेष लाभ देने के लिए दूध, दही, शहद, बिल और भांग पत्र से पूजा की जाती है। मंडी शहर के अलावा, देश और विदेश से भी श्रद्धालु बाबा भूतनाथ के दर्शन के लिए यहां आते हैं।

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मंदिर की कहानी:

मंदिर की मान्यता के अनुसार, एक समय की बात है जब एक ब्राह्मण की गाय रोज नदी पार कर एक घने जंगल में जाती थी और वहां एक निश्चित स्थान पर जाकर अपने थनों से दूध की धारा बहाती थी। यह दूध स्वयं जमीन पर बहता था। एक दिन जब गाय घर में दूध नहीं दे रही थी, तो ब्राह्मण ने गाय का पीछा किया और देखा कि गाय उस स्थान पर जाकर दूध देती है। ब्राह्मण ने राजा अजबर सेन को इस घटना के बारे में बताया। राजा ने स्वयं जाकर देखा और उसी रात बाबा भूतनाथ ने राजा को स्वप्न में दर्शन दिए। बाबा भूतनाथ ने राजा को बताया कि जहां गाय दूध देती है, वहां एक शिवलिंग है। अगले दिन राजा ने वहां खुदाई करवाई और वास्तव में वहां एक स्वयंभू शिवलिंग प्रकट हुआ। 1527 ईस्वी में राजा अजबर सेन ने इस स्थल पर शिखर शैली में बाबा भूतनाथ मंदिर का निर्माण करवाया। तब से यहां भगवान भूतनाथ की पूजा-अर्चना होती आ रही है।

मंदिर की आंतरिक संरचना: मंदिर में प्रवेश करते ही नंदी की मूर्ति के दर्शन होते हैं। मंदिर के अंदर कई प्राचीन मूर्तियां और वाद्य यंत्र रखे गए हैं। मंडपागार में एक हवनकुंड है, जहां शिव भक्त पूजा के दौरान विभूति ग्रहण करते हैं।

सावन माह की पूजा का महत्व: मंदिर के पुजारी महंत देवानंद सरस्वती के अनुसार, सावन माह में बाबा भूतनाथ की पूजा का विशेष महत्व है। यह मंदिर जन्म से लेकर अंतिम संस्कार तक की रस्मों को निभाने की परंपरा को निभाता है। बच्चे के जन्म के बाद उसकी शुद्धि के लिए उसे बाबा भूतनाथ के दर्शन कराए जाते हैं, और मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार के लिए भी इस मंदिर से धूने की विभूति, शेष, शंख और घंटी प्राप्त की जाती है।

मंदिर कैसे पहुंचें: मंडी शहर के बीच स्थित बाबा भूतनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए आप निम्नलिखित मार्गों का उपयोग कर सकते हैं:

  1. सड़क मार्ग:

    • चंडीगढ़-कीरतपुर-मनाली फोरलेन और पठानकोट-मंडी नेशनल हाईवे के माध्यम से टैक्सी या बस से मंडी पहुंच सकते हैं।
    • मंडी शहर से मंदिर तक आधा किलोमीटर की दूरी पैदल या ऑटो रिक्सा द्वारा तय की जा सकती है।
  2. हवाई मार्ग:

    • भुंतर हवाई अड्डे पर उतरकर, लगभग 55-60 किलोमीटर की दूरी बस या टैक्सी द्वारा तय करके मंडी शहर और फिर बाबा भूतनाथ मंदिर पहुंच सकते हैं।

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