Edited By Vijay, Updated: 28 Nov, 2019 11:06 PM
प्रदेश हाईकोर्ट ने व्यवस्था दी है कि जो व्यक्ति आत्महत्या का प्रयास करता है वह गंभीर तनाव ग्रसित रोगी माना जाएगा और उसके खिलाफ कोई भी मुकद्दमा दर्ज नहीं किया जाएगा। न्यायाधीश संदीप शर्मा ने राज्य के मुख्य सचिव को आदेश दिए हैं कि वह पुलिस अथॉरिटी को...
शिमला (ब्यूरो): प्रदेश हाईकोर्ट ने व्यवस्था दी है कि जो व्यक्ति आत्महत्या का प्रयास करता है वह गंभीर तनाव ग्रसित रोगी माना जाएगा और उसके खिलाफ कोई भी मुकद्दमा दर्ज नहीं किया जाएगा। न्यायाधीश संदीप शर्मा ने राज्य के मुख्य सचिव को आदेश दिए हैं कि वह पुलिस अथॉरिटी को तुरंत प्रभाव से दिशा-निर्देश जारी करें कि मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, 2017 की धारा 115 में निहित प्रावधानों की कड़ाई से अनुपालना करें जिसके तहत आत्महत्या का प्रयास करने वाले को गंभीर तनाव ग्रसित रोगी माना जाएगा और उसके खिलाफ कोई भी मुकद्दमा दर्ज नहीं किया जाएगा।
न्यायाधीश शर्मा ने कहा कि आत्महत्या के प्रयास को गैर-अपराधीकरण घोषित करने बारे दुनिया के विभिन्न देशों ने पहले ही कदम उठा लिए हैं। आत्महत्या करने के प्रयास को गैर-अपराधीकरण घोषित किए जाने के मकसद से भारत सरकार पहले ही मैंटल हैल्थ केयर एक्ट, 2017 अधिनियमित कर चुकी है। अदालत ने भारत सरकार के सचिव (गृह) को आदेश दिए कि वह उचित स्तर पर मामले को उठाएं ताकि आत्महत्या के प्रयास को गैर-अपराधीकरण घोषित करने बारे उचित कदम उठाए जाएं।
अदालत ने उक्त आदेश प्रतिभा शर्मा द्वारा दायर याचिका को स्वीकार करते हुए पारित किए। याचिका में प्रार्थी ने गुहार लगाई थी कि पुलिस द्वारा उसके खिलाफ आत्महत्या का प्रयास किए जाने पर प्राथमिकी दर्ज की थी और उसके खिलाफ सक्षम अदालत में मुकद्दमा चलाया था। हाईकोर्ट ने मामले से जुड़े तथ्यों को देखते हुए अपने निर्णय में कहा कि पुलिस ने प्रार्थी के बयानों के आधार पर ही आत्महत्या का मामला दर्ज किया है जोकि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 20(3) का सरासर उल्लंघन है।