Edited By Vijay, Updated: 16 Mar, 2019 10:09 PM
प्रदेश उच्च न्यायालय ने स्पैशल जज ऊना से पूछा है कि ऐसे क्या कारण रहे कि उन्हें अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति अत्याचार निरोधक अधिनियम के अंतर्गत आने वाले आरोप के लिए गिरफ्तारी से पूर्व जमानत देने के लिए बाध्य होना पड़ा। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान...
शिमला: प्रदेश उच्च न्यायालय ने स्पैशल जज ऊना से पूछा है कि ऐसे क्या कारण रहे कि उन्हें अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति अत्याचार निरोधक अधिनियम के अंतर्गत आने वाले आरोप के लिए गिरफ्तारी से पूर्व जमानत देने के लिए बाध्य होना पड़ा। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान ने राज्य सरकार द्वारा स्पैशल जज द्वारा पारित फैसले को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई के दौरान यह आदेश पारित किए।
राज्य सरकार की ओर से अपनी याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति अत्याचार निरोधक अधिनियम से जुड़े आरोप के लिए अग्रिम जमानत देने का प्रावधान नहीं किया गया है। इस तरह के मामलों के लिए आरोपी को पहले पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करना पड़ता है। इसके पश्चात ही आरोपी जमानत के लिए वह आवेदन कर सकता है मामले पर सुनवाई 10 मई के लिए निर्धारित की गई है।