परिहार स्कूल के मुख्य अध्यापक की मेहनत लाई रंग, छात्रों की इनरोलमैंट में हुई वृद्धि

Edited By Vijay, Updated: 18 Nov, 2018 03:57 PM

hard work of school principal change the colour

कहते हैं कि सरकारी संपत्ति आपकी अपनी है। कई लोग इसका दुरुपयोग करते हैं और कई लोग इसे इसे बचाने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा देते हैं। आज आपको चम्बा जिला के ऐसे होनहार मुख्य अध्यापक के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके स्कूल में स्टाफ की कमी के चलते...

चम्बा (मोहम्मद आशिक): कहते हैं कि सरकारी संपत्ति आपकी अपनी है। कई लोग इसका दुरुपयोग करते हैं और कई लोग इसे इसे बचाने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा देते हैं। आज आपको चम्बा जिला के ऐसे होनहार मुख्य अध्यापक के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके स्कूल में स्टाफ की कमी के चलते बच्चों की इनरोलमैंट धीरे-धीरे कम हो रही थी लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और स्टाफ को लेकर ऐसी पहल की अब उनके स्कूल में बच्चों की इनरोलमैंट में वृद्धि हो गई है।
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स्टाफ की कमी के चलते स्कूल छोड़ रहे थे छात्र
बता दें कि राजकीय उच्च पाठशाला परिहार में स्टाफ की कमी के चलते बच्चे स्कूल छोडऩे लगे और अन्य स्कूलों में दाखिला लेने लगे लेकिन मुख्य अध्यापक सुरजीत सिंह ने आसपास के गांव में जाना शुरू किया और इस मुहिम में स्कूल के अन्य स्टाफ ने भी इनके साथ खूब मेहनत की और इस स्कूल को छोड़ कर अन्य स्कूलों में जा चुके बच्चों के अभिभावकों को मोटिवेट किया और उन बच्चों को दोबारा परिहार स्कूल में दाखिल कर करवाया। तकरीबन 40 से अधिक छात्र-छात्राओं ने दोबारा इस स्कूल में दाखिला लिया जहां बच्चों को बेहतर पढ़ाई करने का मौका मिल रहा है।
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बेटियों को घर-द्वार पर मिल रही बेहतर शिक्षा
स्टाफ की कमी के चलते यहां से छात्र-छात्राओं को जंगली रास्ता पार करते हुए काफी दूर अन्य स्कूलों में जाना पड़ता था और जंगली जानवरों का भी खतरा बढ़ जाता था, ऐसे में परिहार स्कूल के मुख्याध्यापक की इस पहल ने न की बच्चों को वापस अपने गावं के स्कूल में आने के लिए विवश कर दिया बल्कि अब बेटियों को घर-द्वार पर बेहतर शिक्षा प्रदान करने का जिम्मा भी उक्त अध्यापक ने उठाया है। सुरजीत सिंह मुख्याद्यपक ने एक मिसाल पेश करते हुए एक संदेश देने का काम किया है कि सीमित संसाधनों के बीच भी बेहतर कार्य किया जा सकता है।
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क्या कहते हैं स्कूली छात्र-छात्राएं
वहीं दूसरी और परिहार स्कूल के छात्र-छात्राओं का कहना है कि स्कूल में स्टाफ की कमी के चलते हमें अन्य स्कूल में दाखिला लेना पड़ा था लेकिन हमारे मुख्य अध्यापक ने हमारे अभिभावकों को मोटिवेट किया, जिसके बाद से हमने दोबारा यहां दाखिला लिया और आज हम पढ़ाई कर पा रहे हैं।
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क्या कहते हैं स्कूल के अध्यापक
हमारे स्कूल में स्टाफ की कमी के चलते बच्चे धीरे-धीरे स्कूल छोड़ कर अन्य स्कूल में दाखिला ले रहे थे और हमारे मुख्याध्यापक के प्रयास से हम गांव-गांव गए और बच्चों के अभिभावकों को मोटिवेट किया। आज हमारे स्कूल में स्टाफ की कमी भी नहीं है और बच्चों की संख्या भी 100 से अधिक हो गई है। एक समय में यहां बच्चों की संख्या 68 के आसपास रह गई थी।
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क्या कहते हैं मुख्याध्यापक सुरजीत सिंह
स्कूल के मुख्याध्यापक सुरजीत सिंह का कहना है कि हमारे स्कूल में स्टाफ की कमी के चलते कई बच्चे स्कूल छोड़ रहे थे और अन्य स्कूल में जा रहे थे जिसके बाद मैंने और स्कूल के स्टाफ ने एक पहल करते हुए हर गांव में जाने का फैसला किया। हमने बच्चों के अभिभावकों को मोटिवेट किया, जिसके बाद बच्चों ने परिहार स्कूल में दाखिला लिया और आज बच्चों की संख्या 112 है और 40 के करीब बच्चों ने दोबारा दाखिला लिया है।

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