RBI का फरमान, नोटबंदी के बाद गरीब के लिए खाने के भी लाले

Edited By Updated: 15 Jan, 2017 12:56 PM

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नोटबंदी के बाद सरकार और आर.बी.आई. के तुगलकी फरमान लोगों के गले की फांस बने गए हैं।

नादौन: नोटबंदी के बाद सरकार और आर.बी.आई. के तुगलकी फरमान लोगों के गले की फांस बने गए हैं। लोगों को अपने खातों से पैसे निकालने के लिए ढेरों औपचारिकताओं का सामना करना पड़ रहा है। प्रधानमंत्री की 50 दिन की समय सीमा भी समाप्त हो गई है, हालात भी थोड़े बेहतर हुए हैं परंतु अब भी खातों से निकासी की सीमा को हटाया नहीं गया है। सामान्य खातों से तो रकम की निकासी हो भी रही है परंतु जन-धन खातों से निकासी पर अप्रैल, 2017 तक प्रतिबंध लगाया गया है। अब जिन लोगों के सामान्य खाते नहीं थे और उन्होंने नोटबंदी के दौरान अपनी मेहनत की कमाई इन खातों में जमा करवाई थी, अब जरूरत पड़ने पर उनके पैसे की निकासी नहीं हो रही है। जन-धन खातों में गरीबों द्वारा पैसा जमा करवाना उनके लिए मुसीबत बन गया है।


खाते में जमा हुए पैसे निकालने से मना कर रहे बैंक 
नादौन उपमंडल की पंचायत बेला में एक ऐसा ही मामला सामने आया है जहां पर एक गरीब बीमारी की हालत में है तथा उसे पैसों की जरूरत है परंतु जन-धन खाते में जमा हुई रकम निकालने से बैंक मना कर रहे हैं। अब संकट की घड़ी में उसका पैसा उसके काम नहीं आएगा तो किसी अनहोनी घटना के बाद पैसे का क्या मतलब रह जाता है। नोटबंदी और बैंक की प्रताड़ना का शिकार हुए गोरख राम ने पत्रकारों को आपबीती सुनाते हुए कहा कि वह गंभीर बीमारी से ग्रस्त है तथा इलाज के लिए उसने जीवन बीमा पॉलिसी से 23 हजार की राशि कर्ज के तौर पर ली। बीमा कार्यालय ने उसके जन-धन खाते में राशि जमा करवा दी और अब जबकि उसे पैसे की जरूरत पड़ी और वह नादौन की एस.बी.आई. ब्रांच से पैसे निकालने गया तो बैंक अधिकारियों ने कहा कि जन-धन खातों में अप्रैल, 2017 तक प्रतिबंध है। बैंक अधिकारियों की दलील से गोरख राम परेशान है तथा अब पैसे की कमी से उसकी जान पर बन आई है।

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